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धावक फौजा सिंह का 114 वर्ष की उम्र में निधन , कई दिग्गजों ने जताया शोक

'टर्बन्ड टॉरनेडो' के नाम से फेमस 114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह का एक कार की चपेट में आने से निधन हो गया। उनके निधन पर भारत के कई दिग्गजों ने संवेदना प्रकट की है।

दुनिया के सबसे बुजुर्ग रेसर फौजा सिंह का 14 जुलाई को पंजाब के जालंधर स्थित उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में निधन हो गया। वे 'टर्बन्ड टॉरनेडो' के नाम से मशहूर थे। फौजा सिंह का जन्म स्वतंत्रता-पूर्व ब्रिटिश भारत में 1 अप्रैल, 1911 को हुआ था। जन्म के समय वे काफी कमजोर थे, करीब पांच वर्षों की उम्र तक वे पैरों के बल खड़े नहीं हो पा रहे थे। आगे चलकर उनके स्वास्थ्य में कुछ ऐसा सुधार हुआ की वे रेस में सबसे अव्वल आने लगे। 

फौजा सिंह पेशे से किसान थे, लेकिन वर्ष 1992 में अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद पूर्वी लंदन चले गए। महज दो साल के अंतर पर ही 1994 में उनके बेटे बेटे कुलदीप की मृत्यु हो गई। ऐस में उन्होंने अपना मन बहलाने के लिए दौड़ना शुरू किया। उन्होंने 2000 में, 89 वर्ष की आयु में, गंभीर प्रशिक्षण शुरू किया और उसी वर्ष लंदन मैराथन में अपनी पहली पूर्ण मैराथन 6 घंटे 54 मिनट में पूरी की। उनकी एथलेटिक उपलब्धियाँ एक दशक से भी ज्यादा समय तक जारी रहीं, जिसमें न्यूयॉर्क, टोरंटो, मुंबई और हांगकांग में मैराथन में भाग लेना शामिल है। 2003 में उन्होंने टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जिसे उन्होंने 5 घंटे 40 मिनट में पूरा किया।

सिंह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान तब मिली जब उन्होंने 100 साल की उम्र में 16 अक्टूबर, 2011 को टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा किया। हालाँकि इससे वे मैराथन पूरी करने वाले पहले शतायु व्यक्ति बन गए, लेकिन 1911 के भारत के आधिकारिक जन्म रिकॉर्ड के अभाव के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इस रिकॉर्ड को प्रमाणित नहीं किया। 

फौजा सिंह के उम्र के बात करें तो उनके पासपोर्ट समेत अन्य दस्तावेजों में उनकी जन्मतिथि 1 अप्रैल, 1911 दर्ज थी। ओंटारियो मास्टर्स एसोसिएशन के फौजा सिंह आमंत्रण मीट में एक ही दिन में आठ विश्व रिकॉर्ड बनाए थे। उन्होंने 100 मीटर से लेकर 5,000 मीटर तक की दूरी पूरी की, जो युवा आयु वर्ग के मौजूदा रिकॉर्ड से कई गुना अधिक थी। ऐसे में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने एक निजी पत्र जारी कर उनके 100 वर्ष पूरा होने पर उन्हें बधाई दी थी। 

फौजा सिंह की जीवनशैली
'टर्बन्ड टॉरनेडो' का जीवन काफी अनुशासित रहा। वे शाकाहारी भोजन करते थे। 101 साल की उम्र में उन्होंने हांगकांग में 10 किलोमीटर की दौड़ पूरी करने के बाद 2013 में प्रतिस्पर्धी रेसिंग से संन्यास ले लिया।

उनकी स्टोरी खुशवंत सिंह की जीवनी 'टर्बन्ड टॉर्नेडो' में दर्ज की गई थी, और ओमंग कुमार बी द्वारा निर्देशित 'फौजा' नामक एक बायोपिक की घोषणा 2021 में की गई। सिंह डेविड बेकहम और मुहम्मद अली के साथ एक प्रमुख स्पोर्ट्स ब्रांड के अभियान में भी दिखाई दिए, और पेटा अभियान में शामिल होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे।

सिंह को 2003 में एलिस आइलैंड मेडल ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया और 2011 में उन्हें प्राइड ऑफ इंडिया का खिताब दिया गया। वह लंदन 2012 ओलंपिक के मशालवाहक थे।

फौजा सिंह के निधन पर दुनिया भर से कई दिग्गज नेताओ ने श्रद्धांजलि अर्पित की है-

सिख कोलिशन ने लिखा, "फौजा जी के अद्भुत साहस और दृढ़ता ने दुनिया भर के सिखों और अन्य लोगों को प्रेरित किया... चढ़दी कला 'उभरते हुए हौसलों' के प्रतीक फौजा सिंह एक वैश्विक सिंबल थे।"
 



अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत, तरनजीत सिंह संधू ने कहा, "आपने उम्र के बंधन को तोड़ते हुए कभी हार नहीं मानी। आपका अदम्य साहस पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।"
 

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