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प्रतिनिधि सभा में दिवाली पर भारतीय-अमेरिकियों के सम्मान में प्रस्ताव पेश

यह प्रस्ताव अमेरिका के सार्वजनिक जीवन, विज्ञान, शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में पांच मिलियन भारतीय-अमेरिकियों के योगदान को सराहता है और उनके खिलाफ होने वाले भेदभाव और घृणा की घटनाओं की निंदा करता है।

अमेरिकी ध्वज। / pexels

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की विरासत और योगदान को मान्यता देने वाला एक दलीय प्रस्ताव पेश किया गया है। न्यूयॉर्क के डेमोक्रेट सांसद टॉम सुवोज़ी और कैलिफोर्निया की रिपब्लिकन सांसद यंग किम ने मिलकर प्रस्ताव H.Res. 819 पेश किया। यह प्रस्ताव अमेरिका के सार्वजनिक जीवन, विज्ञान, शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में पांच मिलियन भारतीय-अमेरिकियों के योगदान को सराहता है और उनके खिलाफ होने वाले भेदभाव और घृणा की घटनाओं की निंदा करता है।

सुवोज़ी ने कहा, मेरे क्षेत्र में एक बड़ा और सक्रिय भारतीय-अमेरिकी समुदाय है। यह प्रस्ताव उस समृद्ध इतिहास और गहरे प्रभाव को सम्मानित करता है जो इस समुदाय ने देशभर में डाला है। वहीं किम ने कहा, भारतीय-अमेरिकी हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी सफलता अमेरिकी सपने का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। दिवाली के अवसर पर यह प्रस्ताव पेश करना समावेशिता और सम्मान की भावना को दर्शाता है।

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भारत-अमेरिका साझेदारी पर जोर
प्रस्ताव में भारत और अमेरिका के बीच लोकतांत्रिक और बहुलतावादी मूल्यों पर आधारित साझेदारी को रेखांकित किया गया है। यह शिक्षकों, इंजीनियरों, न्यायाधीशों, राजनयिकों सहित विभिन्न पेशों में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की सराहना करता है और हाल के वर्षों में भारतीय तथा दक्षिण एशियाई समुदायों के खिलाफ बढ़ते घृणा अपराधों और ऑनलाइन उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त करता है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि हिंदू, सिख, जैन, मुस्लिम या अन्य धार्मिक-सांस्कृतिक पहचान के आधार पर भेदभाव या असहिष्णुता अस्वीकार्य है।

सैन्य दाढ़ी नीति पर चिंता
इसी बीच, सुवोज़ी ने अमेरिकी युद्ध सचिव पीट हेगसेथ को पत्र लिखकर सेना में दाढ़ी पर पाबंदी संबंधी उनके हालिया बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने लिखा कि आपका बयान—‘No more beardos’—सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी-अमेरिकी समुदायों में चिंता पैदा कर रहा है।

सुवोज़ी ने याद दिलाया कि सिख धर्म में ‘संत-सिपाही’ की परंपरा के तहत देश की सेवा को पवित्र कर्तव्य माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना सुन्नत-ए-मुअक्कदा है और कई अफ्रीकी-अमेरिकी सैनिकों को स्वास्थ्य कारणों से दाढ़ी बनाए रखनी पड़ती है। उन्होंने 2016 में अमेरिकी सेना द्वारा धार्मिक और चिकित्सकीय कारणों से साफ-सुथरी, अनुशासित दाढ़ी की अनुमति देने के निर्णय की याद दिलाते हुए आग्रह किया कि इस नीति को जारी रखा जाए।

सुवोज़ी ने कहा, जो लोग देशभक्त और धार्मिक हैं, उन्हें कभी भी अपने धर्म, संस्कृति और देश के बीच चुनाव करने की स्थिति में नहीं आना चाहिए। यही संतुलन हमारी एकता और तैयारियों को और मजबूत करेगा।

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