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ट्रम्प के टैरिफ से भारतीय गारमेंट और ज्वेलरी सेक्टर को झटका, ऑर्डर घटने का डर

अमेरिका, भारत के गारमेंट और ज्वेलरी के लिए सबसे बड़ा बाजार है।

भारतीय गारमेंट सेक्टर को झटका / Reuters

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद भारत के परिधान और ज्वेलरी निर्यातकों में चिंता बढ़ गई है। उद्योग जगत के मुताबिक, इस फैसले से अमेरिका से ऑर्डर घट सकते हैं और नौकरियों में कटौती की नौबत आ सकती है।

कई गारमेंट निर्यातक, जो अमेरिका के रिटेलर्स जैसे वॉलमार्ट और कॉस्टको से ऑर्डर बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे, अब अपने विस्तार की योजनाएं रोक चुके हैं और व्यापार वार्ता के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।

वेलस्पन लिविंग, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, इंडो काउंट और ट्राइडेंट जैसे बड़े गारमेंट निर्यातकों की बिक्री का 40 से 70 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से आता है। अमेरिका द्वारा वियतनाम पर मात्र 20 प्रतिशत ड्यूटी लगाए जाने के चलते ऑर्डर वहां शिफ्ट होने की आशंका जताई जा रही है।

अमेरिका, भारत के गारमेंट और ज्वेलरी के लिए सबसे बड़ा बाजार है। वर्ष 2024 में इन क्षेत्रों में भारत ने अमेरिका को लगभग 22 अरब डॉलर का निर्यात किया। अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी 5.8 प्रतिशत है, जो चीन, वियतनाम और बांग्लादेश से पीछे है।

गोकलदास एक्सपोर्ट्स की सहायक कंपनी मैट्रिक्स डिजाइन एंड इंडस्ट्रीज प्रा. लि. के निदेशक गौतम नायर ने बताया, हम 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ की उम्मीद कर विस्तार की तैयारी कर रहे थे। ट्रम्प के 25 प्रतिशत टैरिफ के ऐलान ने हमें झटका दिया है। अगर यह लागू हुआ, तो इससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भारत का गारमेंट सेक्टर पहले से ही बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज्यादा लागत झेल रहा है।

यह भी पढ़ें- भारत पर 25 फीसदी टैरिफ से गहराएंगे भारत-US संबंध: भारतवंशी उद्योगपतियों की चेतावनी

दक्षिण भारत के टेक्सटाइल हब तिरुपुर में भी चिंता बढ़ रही है। स्थानीय निर्यातकों को उम्मीद है कि जल्द ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होगा, जिससे अस्थिरता खत्म हो सकेगी।

कॉटन ब्लॉसम इंडिया के कार्यकारी निदेशक नवीन माइकल जॉन ने कहा, अगर अमेरिकी कारोबार घटा, तो फैक्ट्रियां एक-दूसरे के ग्राहकों को लुभाने की होड़ में लग जाएंगी। कंपनी वॉलमार्ट और बास प्रो शॉप्स को सामान भेजती है।

भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर, जो अमेरिकी खरीदारों पर बहुत हद तक निर्भर है, पहले से ही दबाव में है। 2024-25 के वित्तीय वर्ष में कट और पॉलिश हीरे के निर्यात करीब दो दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। अमेरिका भारत के सालाना 28.5 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा खरीदता है।

जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन किरीट भंसाली ने कहा, इस तरह का व्यापक टैरिफ लागत बढ़ाएगा, शिपमेंट में देरी करेगा, कीमतों को अस्थिर करेगा और पूरे वैल्यू चेन पर भारी दबाव डालेगा, चाहे वह मजदूर हो या बड़ा निर्माता।

अमेरिका में छुट्टियों के मौसम से पहले स्थिति सामान्य करने के लिए निर्यातक सरकार से हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं। एक हीरा निर्यातक ने कहा, अगर व्यापार समझौता नहीं हुआ, तो निर्यात नहीं सुधरेगा। हमें उत्पादन और नौकरियां घटानी पड़ेंगी।

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