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व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन : मध्यप्रदेश के सात जिलों में जारी है शिशु पोषण स्वास्थ्य पहल

भारत के महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों के कई जिलों से मिले सकारात्मक परिणामों की ध्यान में रखते हुए इस चुनौती का समाधान नवजात शिशुओं के लिए पोषण के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पर केंद्रित है। यानी मां का दूध।

यह कार्यक्रम झारखंड और मेघालय राज्यों में भी शुरू किया गया है। / WHEELS Global Foundation

भारत में शिशु कुपोषण एक बड़ी चिंता का विषय है। इससे उच्च शिशु मृत्यु दर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा होती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-2020) के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के 36 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं, 33 प्रतिशत कम वजन वाले हैं और 17 प्रतिशत कमजोर हैं। सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि छह महीने से कम उम्र के शिशुओं के लिए विशेष स्तनपान दर केवल 55.6 प्रतिशत है। इसके अलावा सटीक स्तनपान प्रथाओं के बारे में जागरूकता की भारी कमी है। इसके चलते शिशुओं को आमतौर पर अपनी माताओं से उपलब्ध दूध की आपूर्ति का लगभग 28 प्रतिशत ही प्राप्त होता है। ये आंकड़े भारत में शिशु कुपोषण की मौजूदा चुनौतियों को रेखांकित करते हैं। यह स्थिति तब है जब इस चुनौती को देखते हुए सरकार की ओर से तमाम तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 

वैश्विक आईआईटी पूर्व छात्रों के सामाजिक प्रभाव मंच व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने नवजात शिशु पोषण स्वास्थ्य पहल शुरू करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश सरकार के साथ साझेदारी की है। रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट (RIST) के एक प्रमुख अनुदान द्वारा समर्थित इस प्रौद्योगिकी-सक्षम रणनीतिक पहल का लक्ष्य ग्रामीण मध्य प्रदेश में 1 करोड़ मिलियन से अधिक माताओं और शिशुओं को प्रभावित करना है।

भारत के महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों के कई जिलों से मिले सकारात्मक परिणामों की ध्यान में रखते हुए इस चुनौती का समाधान नवजात शिशुओं के लिए पोषण के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पर केंद्रित है। यानी मां का दूध। यह पहल मुंबई और अमेरिका स्थित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपल दलाल के मूल शोध और जमीनी कार्य पर आधारित है। डॉ. दलाल ने झुग्गी क्षेत्रों में स्तनपान संबंधी गलत प्रथाओं की पहचान की थी। 

यह परियोजना हेल्थ स्पोकन ट्यूटोरियल्स (HST) के माध्यम से प्रतिष्ठित प्रोफेसर कन्नन मौदगल्य के नेतृत्व में आईआईटी बॉम्बे टीम के अग्रणी कार्य को भी अमल में लाती है। यह सहयोग आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWW) और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) जैसे अग्रणी सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए 'स्तनपान तकनीक' प्रशिक्षण की लागत और समय कुशल राष्ट्रव्यापी स्केलिंग को सक्षम बनाता है। प्रशिक्षण 20 से अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में ऑफलाइन या ऑनलाइन 10 मिनट के स्व-शिक्षण मॉड्यूल श्रृंखला के माध्यम से दिया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम कई प्रमुख घटकों के माध्यम से स्तनपान प्रथाओं को बढ़ाने पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम सही स्तनपान तकनीकों पर जोर देता है।

HST कार्यक्रम 102 से अधिक विषयों के साथ एक व्यापक शैक्षिक संसाधन प्रदान करता है जिसमें उचित मातृ, शिशु और छोटे बच्चे के आहार पर विस्तृत कक्षाएं शामिल हैं। विविध आबादी के लिए पहुंच सुनिश्चित करते हुए इन ट्यूटोरियल्स (कक्षाओं) का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। सामग्री में मातृ पोषण, स्तनपान, पूरक पोषण, सामान्य पोषण पैमाना, व्यंजन विधि और नवजात देखभाल पर वीडियो और सामग्री शामिल हैं। यह पहल विभिन्न समुदायों में माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण में सहायता के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करती है।

वर्तमान में यह पहल मध्यप्रदेश के 7 जिलों में कार्यरत है। इसे झारखंड और मेघालय राज्यों में भी शुरू किया गया है। PanIIT समुदाय की एक सामाजिक प्रभाव शाखा के रूप में व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन भारत के सभी 29 राज्यों और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में इस प्रौद्योगिकी-सक्षम पहल को बढ़ाने की उम्मीद करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक बच्चे को पूरी तरह से विकसित मस्तिष्क और स्वस्थ जीवन का मौका मिले।

व्हील्स तेजी से विस्तार करने, जागरूकता पैदा करने और पहल का समर्थन करने के लिए कॉर्पोरेट नेताओं, सीएसआर संस्थाओं, आईएएस अधिकारियों, एनजीओ भागीदारों और विभिन्न पेशेवरों सहित अपने पैन आईआईटी पूर्व छात्रों के नेटवर्क का लाभ उठाता है। इन कार्यक्रमों को लागू करके हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के दृष्टिकोण के समर्थन में 2030 तक भारत की 20 प्रतिशत 'ग्रामीण-शहरी' आबादी (यानी 180 मिलियन से अधिक लोगों) के प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन के साझा उद्देश्यों को प्राप्त करना है।

हम भारत के भविष्य के इस बड़े वंचित वर्ग को लाभान्वित करने में रुचि रखने वाले आप जैसे सभी लोगों से व्हील्स वेबसाइट देखने का अनुरोध करते हैं ताकि आप भी व्हील्स के प्रयासों में शामिल होकर इस व्यापक अभियान का हिस्सा बन सकें। 

(लेखिका व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन की मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस मैनेजर हैं)

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