भारत सरकार ने सोमवार को अपनी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) नीति का ऐलान किया, लेकिन इसमें दुनिया की जानी-मानी ईवी कंपनी Tesla की भागीदारी की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। भारत के उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने साफ कर दिया कि Tesla फिलहाल भारत में कार निर्माण में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
Tesla की क्या योजना है?
Tesla के सीईओ एलन मस्क ने पिछले साल भारत में निवेश की योजना को टाल दिया था। कंपनी का फिलहाल फोकस भारत में कारों के आयात पर है। एलन मस्क पहले ही कई बार कह चुके हैं कि भारत में आयातित गाड़ियों पर टैक्स बहुत ज़्यादा है, जो कंपनी की योजनाओं में बाधा बन रहा है।
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भारत की नई EV नीति क्या कहती है?
सरकार की नई EV नीति के अनुसार, विदेशी कंपनियां अगर भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,100 करोड़) का निवेश करती हैं तो उन्हें सीमित संख्या में गाड़ियों के आयात पर सिर्फ 15% आयात शुल्क देना होगा। अभी यह शुल्क करीब 70% से 100% तक है।
शर्त यह होगी कि कंपनियों को भारत में 3 साल के भीतर फैक्ट्री चालू करनी होगी, और स्थानीय सामग्री (Local Content) की शर्तें पूरी करनी होंगी।
कौन-कौन सी कंपनियां दिखा रही हैं दिलचस्पी?
भारी उद्योग मंत्री के अनुसार, Mercedes-Benz, Volkswagen, Hyundai और Kia जैसी कंपनियों ने भारत में ईवी निर्माण नीति में रुचि दिखाई है।
टाटा और महिंद्रा क्यों हैं नाखुश?
घरेलू कंपनियां जैसे Tata Motors और Mahindra & Mahindra, जो पहले से भारत में ईवी निर्माण में निवेश कर रही हैं, आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ थीं। उनका मानना है कि इससे विदेशी कंपनियों को अनुचित लाभ मिलेगा।
EV बाजार की स्थिति
भारत में अभी कुल कार बिक्री का केवल 2.5% हिस्सा ईवी का है। 2024 में यह आंकड़ा लगभग 4.3 मिलियन कारों का था। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 30% कारें इलेक्ट्रिक हों।
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