दुनिया भर में चुनावों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर बहस तेज़ हो रही है, और अब इस सूची में कनाडा भी शामिल हो गया है। हाल ही में संपन्न हुए कनाडा के संघीय चुनाव न केवल कांटे की टक्कर के लिए चर्चा में हैं, बल्कि बढ़ती चुनावी विसंगतियों, पुनर्गणनाओं (रीकाउंट्स) और न्यायिक जांचों के कारण भी विवादों के घेरे में हैं।
कई सीटों पर परिणामों को लेकर बवाल
कनाडा की Carleton सीट, जिससे विपक्ष के नेता पियरे पोलीएव्रे चुनाव लड़े थे, चर्चा का केंद्र रही। यहां एक संगठन ‘लॉन्गेस्ट बैलट कमेटी’ ने जानबूझकर बैलट पर 91 उम्मीदवार खड़े कर दिए, ताकि चुनावी प्रणाली की कमियों को उजागर किया जा सके। पियरे यहां 4,315 वोटों से हारे और अब Battle River—Crowfoot से उपचुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
इसी तरह, Milton East–Halton Hills से पहले कंजरवेटिव उम्मीदवार परम गिल को विजेता घोषित किया गया, लेकिन बाद में 29 वोटों से हार में बदल गया। अब उन्होंने न्यायिक पुनर्गणना की मांग की है।
वोट से पलटा नतीजा
क्यूबेक की Terrebonne सीट पर तो मामला और भी रोमांचक रहा। पहले लिबरल उम्मीदवार को विजेता घोषित किया गया, फिर वैधता जांच (validation) में Bloc Québécois की जीत बताई गई। अब न्यायिक रीकाउंट में लिबरल उम्मीदवार तातियाना ऑगस्टे सिर्फ 1 वोट से जीत गईं – 23,352 बनाम 23,351 वोट। इसने लिबरल पार्टी को 170वीं सीट दिलाई।
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कई सीटों पर पुनर्गणना
Milton East–Halton Hills South: 29 वोटों का अंतर, रीकाउंट 13 मई से।
Terra Nova–The Peninsulas (न्यूफाउंडलैंड और लैब्राडोर): 12 वोट का फासला, रीकाउंट 12 मई को।
Windsor–Tecumseh–Lakeshore (ओंटारियो): 77 वोट से कंजरवेटिव आगे, रीकाउंट 20 मई से।
मतगणना में देरी
कनाडा अब भी पेपर बैलट प्रणाली से चुनाव कराता है। ईवीएम का प्रयोग नहीं होता, जिससे मतगणना में समय लगता है और लंबे बैलट जैसी समस्याएं आती हैं। Carleton सीट पर बैलट की लंबाई करीब 1 मीटर थी, जिससे मतगणना 24 घंटे तक खिंच गई।
प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार
भारत में जहां चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से चुनावी कार्यक्रम तय करता है, वहीं कनाडा में प्रधानमंत्री को विशेषाधिकार प्राप्त है कि वह आम चुनाव और उपचुनाव की तारीखें तय करें। विपक्षी नेता पोलीएव्रे के लिए अब एक सीट खाली की जा रही है, जिससे प्रधानमंत्री मार्क कार्नी जल्द उपचुनाव का ऐलान कर सकते हैं।
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