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पेरू का कोरियो पोर्ट बन सकता है भारत का नया ट्रेड गेटवे

कुल मिलाकर, कोरियो पोर्ट भारत के लिए दक्षिण अमेरिका में एक मजबूत व्यापारिक और सामरिक उपस्थिति का बड़ा आधार बन सकता है।

विशाखापट्टनम पोर्ट की तस्वीर। / Wikipedia/Visakhapatnam Port

दक्षिण पेरू में स्थित कोरियो डीपवॉटर पोर्ट भारत के लिए एक बड़े भू-आर्थिक अवसर के रूप में उभर रहा है। रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दशकों में कोरियो भारत के व्यापार और सामरिक हितों को मजबूत करने वाला अहम गेटवे साबित हो सकता है।

28 मीटर की गहराई, VLBC पोर्ट की क्षमता
कोरियो पोर्ट दक्षिण अमेरिकी प्रशांत तट पर स्थित सबसे गहरे प्राकृतिक ड्राफ्ट वाले बंदरगाहों में से एक है। इसकी गहराई 28 मीटर तक है, जहां अति विशाल मालवाहक जहाज आसानी से आ-जा सकते हैं। पोर्ट की क्षमता 100 मिलियन टन वार्षिक से अधिक तक बढ़ाई जा सकती है, जो भारत की तेजी से बढ़ती समुद्री व्यापार जरूरतों के अनुकूल है।

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भारत की वैश्विक ट्रेड रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका
लगभग 90% वैश्विक व्यापार समुद्र के जरिए होता है, ऐसे में गहरे और रणनीतिक बंदरगाह भारत के औद्योगिक विकास, खाद्य सुरक्षा और क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। कोरियो की भौगोलिक स्थिति, गहराई और विस्तार क्षमता इसे भारत के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है।

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