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रेगुलेटर खुद की जांच नहीं कर सकता, DGCA–AAIB टकराव पर भारत के संसदीय समिति की टिप्पणी

समिति ने कहा कि वास्तविकता में इसकी जांच प्रक्रिया बेहद धीमी, संसाधनों की कमी से जूझती और जवाबदेही तय करने में कमजोर है।

भारत में एयर सेफ़्टी पर सवाल / pexles

भारत की एयर सेफ़्टी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। संसद की स्थायी समिति ने चेतावनी दी है कि विमान दुर्घटना जांच और नियामकीय कार्रवाई में मौजूद खामियां जनता के भरोसे को कमजोर कर सकती हैं।

राज्यसभा सांसद विजयसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) स्वतंत्र जांच के लिए बनाया गया है, लेकिन वास्तविकता में इसकी जांच प्रक्रिया बेहद धीमी, संसाधनों की कमी से जूझती और जवाबदेही तय करने में कमजोर है।

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स्टाफ और विशेषज्ञता की भारी कमी
समिति ने बताया कि घरेलू हवाई यात्री संख्या वित्त वर्ष 2024 में 153 मिलियन से ऊपर पहुंच चुकी है, लेकिन AAIB के पास पर्याप्त स्टाफ और तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। जांच रिपोर्टों में देरी यात्रियों के भरोसे और सुरक्षा संस्कृति को कमजोर करती है।
 

रिपोर्ट जारी करने में सालों की देरी
अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक जांच रिपोर्ट एक साल में पूरी होनी चाहिए, लेकिन भारत में यह प्रक्रिया अक्सर कई सालों तक खिंच जाती है। नतीजतन, न तो सुरक्षा सुधार समय पर लागू हो पाते हैं और न ही पीड़ित परिवारों को समय पर न्याय और संतोष मिलता है।

DGCA–AAIB टकराव
समिति ने कहा कि तकनीकी रूप से AAIB और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों के बीच समन्वय की कमी और ओवरलैप के चलते नियामकीय खामियों की गहराई से जांच नहीं हो पाती। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि एक रेगुलेटर खुद की जांच नहीं कर सकता।

हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं पर सवाल
चार धाम यात्रा जैसे पहाड़ी इलाकों में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं के मामलों को उदाहरण के तौर पर पेश किया गया। समिति ने कहा कि खराब मौसम, अपर्याप्त लैंडिंग ढांचा और पायलट प्रशिक्षण की कमी जैसी वजहों से बार-बार हादसे होते हैं, लेकिन ठोस नीतिगत कदम अब तक नहीं उठाए गए।

सुधार के सुझाव
समिति ने सिफारिश की है कि AAIB में स्टाफ और तकनीकी संसाधन बढ़ाए जाएं। जांच रिपोर्ट जारी करने की समय-सीमा क़ानूनन तय की जाए। DGCA और एयरलाइंस द्वारा सुरक्षा सुझावों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। भारत की जांच प्रणाली को ICAO (अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) मानकों के अनुरूप बनाया जाए, जहां स्वतंत्रता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर है।

चेतावनी और नतीजे
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की जांच व्यवस्था में कमजोरी रिएक्टिव कल्चर को दर्शाती है—यानी हादसे होने के बाद कार्रवाई, न कि रोकथाम। लंबी-चौड़ी रिपोर्टें आती तो हैं, लेकिन उनका असर नीतियों या एयरलाइंस पर कम ही दिखता है।

भारत में अगले दशक में यात्रियों की संख्या दोगुनी होने और रिकॉर्ड नए विमान ऑर्डर होने की संभावना है। ऐसे में यदि जांच व्यवस्था मजबूत नहीं हुई, तो हादसों का खतरा बढ़ सकता है। समिति ने अंत में कहा कि दुर्घटना जांच का उद्देश्य दोषारोपण नहीं, बल्कि सीखना है। भारत को प्रतीकात्मक कदमों से आगे बढ़कर एक विश्वसनीय और मज़बूत जांच तंत्र खड़ा करना होगा।

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