ADVERTISEMENT

पाकिस्तानी सत्ता का मुखिया 'निर्वाचित' नहीं, 'चयनित' होता है!

तारड़ कहते हैं कि पाकिस्तान में एक बार फिर दिखावटी चुनाव हो रहे हैं। वैसे ही जैसे 2018 और 2020 में हुए थे। एक बार फिर दिखावे के लिए एक प्रधानमंत्री होगा। देश कोई दूसरा ही चला रहा होगा। भ्रष्टाचार फिर होना है।

न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ साजिद तारड़ के इंटरव्यू का एक स्क्रीनशॉट। / Image : NIA

पाकिस्तान में सत्ता का मुखिया चुनने के लिए 8 फरवरी को मतदान हो चुका है। मतगणना चल रही है। हुकूमत किसकी होगी इसका पता भी बस चलने ही वाला है। आम चुनाव के मद्देनदर पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी साजिद तारड़ ने न्यू इंडिया अब्रॉड से खास बातचीत की है। तारड़ का कहना है कि पाकिस्तान के साथ समस्या यह है कि वहां लोकतंत्र का नेता 'निर्वाचित' नहीं बल्कि 'चयनित' होता है। 

तारड़ का कहना है कि पाकिस्तान में सत्ता का स्वरूप हाईब्रिड है। वहां सत्ता की बागडोर किसी और के हाथ में होती है जबकि राजनीतिक दल सामने मोर्चे पर रहता है। यानी वह सत्ता का चेहरा मात्र होता है। मगर सबसे बड़ा संकट यह है कि हमे इस बात का पता ही नहीं है कि हमे क्या चाहिए। हम संसदीय व्यवस्था चाहते हैं, हमे लोकतंत्र चाहिए अथवा हमे हाईब्रिड व्यवस्था की जरूरत है। सच तो यह है कि पाकिस्ताम में 1951 से ही हाईब्रिड सिस्टम चला आ रहा है। 

देश की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में लोकतांत्रिक मूल्य हैं ही नहीं। वह उनके लिए घर का सौदा है। इसीलिए उन्हे पाकिस्तानी अवाम का 'असल नुमाइंदा' नहीं कहा जा सकता। सत्ता में सारे अहम पद उस पार्टी के परिजनों के पास होते हैं जिसकी हुकूमत होती है। वे बाहर तभी झांकते हैं जब कोई रास्ता नहीं होता। 

बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी चलाते हैं। नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग है और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी। ये पाकिस्तान की तीन प्रमुख पार्टियां हैं। अर्सा पहले पाकिस्तान को लेकर भारत के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने सही भविष्यवाणी की थी जिसे याद कर तारड़ हैरान होते हैं। ताऱड़ कहते हैं कि एक दिन मैंने भारत के पहले शिक्षा मंत्री द्वारा रखे गये उन 13 बिंदुओं को पढ़ा जो बंटवारे से पहले पाकिस्तान को लेकर कहे गये थे। और मुझे वह पढ़कर इसलिए झटका लगा कि उनमें से हरेक बिंदु सही साबित हुआ। आज हालात यह हैं कि लगभग 25 करोड़ पाकिस्तानी सरकारों के घटिया प्रबंधन और शासन का दंश झेल रहे हैं। 

तारड़ पाकिस्तानी शासकों की दोहरी नागरिकता पर भी तंज करते हैं। वह कहते हैं कि जो लोग पाकिस्तान को चलाते हैं उनके बच्चे टोरंटो, लंदन या दुबई में रहते हैं। दुबई में संपत्ति खरीदने के मामले में पाकिस्तानी दूसरे नंबर पर हैं। तारड़ बाहरी पैसों के मुद्दे को भी रेखांकित करते हैं। उदाहरण के लिए वे IMF का नाम लेते हैं और कहते हैं कि वह पैसा पाकिस्तान नहीं पहुंच रहा। और अगर पहुंचता है तो उसे बचाकर रखना असंभव है। यह मसला बरसों से बना हुआ है। 

अपना भला नहीं कर सके पाकिस्तानी प्रवासी
तारड़ इस बात से असहमत हैं कि पाकिस्तानी प्रवासियों ने अमेरिका में अपने लिए कुछ अच्छा किया है। पाकिस्तान से जो भी लोग अमेरिका आते हैं उनमें से अधिकांश अशिक्षित होते हैं। वे यहां पर केवल पैसों के लिए आते हैं। उनका काम यहां से पैसा कमाना और वापस घर भेजना है। उनके पास न तो शैक्षणिक मूल्य हैं और न ही राजनीतिक प्रशिक्षण। वे यहां केवल डॉलर हासिल करने के लिए आए हैं। उनकी प्राथमिकता सूची में अपने समुदाय के लिए कुछ करना है ही नहीं। न्यूयॉर्क में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी बसते हैं लेकिन उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए परिषद में एक भी नुमाइंदा नहीं है। पाकिस्तानी मूल का एक भी कांग्रेसी नहीं है। 

इमरान खान 'धार्मिक' नेता अधिक हैं...
तारड़ इस बात पर चिंता व्यक्त करते हैं कि इमरान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से सहानुभूति रखने वाले बहुत से प्रवासी हैं। पाकिस्तान में भी ऐसा ही है। इमरान को एक राजनीतिक नेता के तौर पर कम, धार्मिक नेता के रूप में लोग अधिक पसंद करते हैं। पाकिस्तानी प्रवासियों में लोकतंत्र की भावना या विकास की भावना नहीं थी क्योंकि उन्होंने एक राजनीतिक नेता को एक धार्मिक पंथ में बदल दिया है।

चुनाव को लोकतांत्रिक नहीं कह सकते
तारड़ कहते हैं कि पाकिस्तान में एक बार फिर दिखावटी चुनाव हो रहे हैं। वैसे ही जैसे 2018 और 2020 में हुए थे। एक बार फिर दिखावे के लिए एक प्रधानमंत्री होगा। देश कोई दूसरा ही चला रहा होगा। भ्रष्टाचार फिर होना है। 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related