ईरान पर अमेरिकी और इजरायली हमलों के बाद पाकिस्तान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर हमलों की निंदा की। इस्लामाबाद में यूएस के फैसले के विरोध में हजारों लोगों ने मार्च निकाला। इससे ठीक एक दिन पहले इस्लामाबाद ने ट्रम्प के लिए नोबल शांति पुरस्कार की वकालत की थी। पाक ने कहा था कि वो अमेरिकी राष्ट्रपति को इस सम्मान के लिए नामित करेगा। लेकिन पाकिस्तान के इस पहले के रूख में महज 24 घंटे के अंदर ही बदलाव देखा गया।
यूएस और इजरायल की ओर ईरान पर हमले के बाद पाकिस्तान ने कहा कि ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी करने के ट्रंप के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है और ईरान संकट को हल करने का एकमात्र तरीका कूटनीति है। एक बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, "ईरान के खिलाफ चल रही आक्रामकता के कारण तनाव और हिंसा में वृद्धि करने वाली स्थिति बेहद परेशान करने वाली है। तनाव में और वृद्धि से क्षेत्र और उससे आगे के लिए गंभीर रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ेंगे।"
पाक की ओर जारी एक बयान में कहा गया कि 22 जून को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन को फोन किया और "अमेरिकी हमलों की पाकिस्तान की निंदा से उन्हें अवगत कराया।"
हालांकि पाकिस्तान के सूचना मंत्री और विदेश मंत्रालय ने दो दिनों में देश की स्थिति में स्पष्ट विरोधाभास पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। इस बीच कराची में हजारों लोगों ने ईरान पर अमेरिकी और इजरायली हमलों के विरोध में मार्च किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के चलने के लिए सड़क पर ट्रंप की तस्वीर वाला एक बड़ा अमेरिकी झंडा रखा गया था। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका, इजरायल और पाकिस्तान के क्षेत्रीय दुश्मन भारत के खिलाफ नारे लगाए।
इससे ठीक एक दिन पहले यानी 22 मार्च को पाकिस्तान ने भारत के साथ संघर्ष विराम में ट्रम्प की भूमिका स्वीकार की और इसके लिए ट्रम्प को "एक वास्तविक शांतिदूत" के रूप में नामित करने की वकालत की। पाकिस्तान ने कहा कि डोनाल्ड जे. ट्रम्प ने "महान रणनीतिक दूरदर्शिता और शानदार राजनेता का प्रदर्शन किया है"।
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