ADVERTISEMENTs

नॉट सो क्लीन ब्यूटी: मेकअप में छिपे खतरनाक राज

आजकल ब्रांड्स शेड रेंज और इंक्लूसिविटी पर ध्यान तो दे रहे हैं, लेकिन स्किन-फ्रेंडली और क्लीन इंग्रीडिएंट्स को नजरअंदाज कर रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर / pexles

आज की किशोरियां चाहे फुल-ग्लैम लुक अपनाएं या फिर क्लीन गर्ल स्टाइल, उनकी मेज पर किसी न किसी नामी ब्रांड का मेकअप ज़रूर मौजूद होता है। मस्कारा, लिप ग्लॉस, कंसीलर—कम से कम इनमें से एक तो हर लड़की के पास रहता ही है। ये प्रोडक्ट्स घंटों तक उनके चेहरे पर रहते हैं—स्कूल से लेकर एक्स्ट्रा-करीकुलर तक। रात को जब वे चेहरा धोती हैं तो दिन तो मिट जाता है, लेकिन मेकअप के असर लंबे समय तक बने रहते हैं। खराब क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स, खासकर संवेदनशील त्वचा पर, लंबे समय में गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। कंपनियां पैकेजिंग पर बड़े-बड़े अक्षरों में 'विगन' और 'सेफ' जैसे शब्द लिखती हैं, लेकिन असली इंग्रीडिएंट्स छोटे अक्षरों में छुपा देती हैं। यही वजह है कि लड़कियों के लिए रिसर्च करना बेहद जरूरी हो जाता है।

आजकल ब्रांड्स शेड रेंज और इंक्लूसिविटी पर ध्यान तो दे रहे हैं, लेकिन स्किन-फ्रेंडली और क्लीन इंग्रीडिएंट्स को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। वेबसाइट INCIDecoder के मुताबिक, पॉपुलर फाउंडेशन में कई हानिकारक तत्व पाए जाते हैं जैसे—साइक्लोहेक्सासिलोक्सेन (एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल सिलिकॉन), लिमोनीन (सस्ता फ्रेगरेंस जो एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस का कारण बन सकता है) और कई सिलिकॉन्स जो त्वचा पर गंदगी जमा कर मुंहासों की समस्या बढ़ा सकते हैं। कई प्रोडक्ट्स में कार्सिनोजेनिक और इरिटेटिंग केमिकल्स भी मिलते हैं। यानी लड़कियों को इंक्लूसिव प्रोडक्ट्स तो मिल रहे हैं, लेकिन क्लीन ब्यूटी का असली वादा अधूरा रह जाता है।

यह भी पढ़ें- BAPS चैरिटीज का कैलिफोर्निया में बोन मैरो, रक्तदान शिविर 

मस्कारा सबसे खतरनाक
सबसे खतरनाक उदाहरण मस्कारा है, जिसे रोजाना आंखों के पास लगाया जाता है। लॉन्ग-लास्टिंग वॉटरप्रूफ मस्कारा में अक्सर थायमरोसल नामक प्रिज़रवेटिव पाया जाता है। Healthline के अनुसार, यह पारा-युक्त तत्व है जो आंखों से शरीर में पहुंचकर ज़हरीले असर डाल सकता है। इसके अलावा, मस्कारा का काला रंग ज़्यादातर कोल टार डाईज़ से आता है, जिसमें हैवी मेटल्स की मिलावट होती है। लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर ये तत्व एलर्जी, सिरदर्द और यहां तक कि न्यूरोटॉक्सिसिटी का कारण बन सकते हैं।

हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि मेकअप पूरी तरह से बुरा है। किशोरियों के लिए मेकअप आत्मविश्वास और क्रिएटिविटी का ज़रिया है। जरूरत है सिर्फ सही प्रोडक्ट चुनने की। लड़कियां ब्रांड की वेबसाइट पर जाकर इंग्रीडिएंट्स चेक कर सकती हैं और Yuka या EWG Skin Deep जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर सकती हैं।

लड़कियों को गुमराह करने वाले लेबल्स और छिपे हुए खतरों से ज्यादा वे रियल क्लीन ब्यूटी की हकदार हैं। थोड़ी रिसर्च और जागरूकता से वे न केवल अपनी स्किन हेल्थ को सुरक्षित रख सकती हैं, बल्कि मेकअप इंडस्ट्री में बदलाव की प्रेरणा भी बन सकती हैं।

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video