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सैम बहादुर के बहाने मेघना गुलजार... मैं योजना नहीं बनाती, मेरी कहानियां मुझे चुनती हैं

मेरे परिवार को मेरे काम पर बहुत गर्व है। लेकिन मैंने पहले कभी अपनी मां (अभिनेत्री राखी) को मेरी किसी फिल्म पर इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त करते नहीं देखा। सैम बहादुर ने उन्हें बहुत गर्व और संतुष्टि दी।

मेघना की सैम बहादुर फिल्म को दर्शकों ने खासा पसंद किया है। / Image : X@meghnagulzar

मेघना गुलजार की नवीनतम निर्देशित फिल्म सैम बहादुर ने बॉक्स-ऑफिस पर शतक जड़ दिया। वह कहती हैं कि मैं योजना नहीं बनाती, मेरी कहानियां मुझे चुनती हैं। यह संयोग ही है कि मेरी पिछली चार फिल्में असल जीवन से प्रेरित रही हैं। मैं कभी भी खुद को किसी खास शैली या पैमाने से बांधना नहीं चाहती। मैं सहज रूप से किसी कहानी में खिंच जाती हूं और उम्मीद करती हूं कि जिस तरह की फिल्में मैं बनाना चाहती हूं उससे एक निर्देशक के रूप में खुद को चकित करती रहूं और दर्शकों को भी। एक बार जब आप किसी 'स्पेस' के साथ सहज हो जाते हैं तो ठहराव आ जाता है और मैं नहीं चाहती कि मेरे साथ ऐसा हो।

जब निर्माता रोनी स्क्रूवाला सैम होर्मूसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ पर एक बायोग्राफिकल ड्रामा के विचार के साथ आपके पास आए तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
सच कहूं तो मैं तब सैम मानेकशॉ के बारे में कुछ नहीं जानती थी सिवाय इसके कि वह भारत के पहले व्यक्ति थे जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान फील्ड मार्शल और सेनाध्यक्ष रहे। लेकिन मुझे यकीन था कि जो कोई इन पदों पर रहा होगा वह एक अच्छी कहानी बनाएगा। तो मेरी 'हां' एक सहज, बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय था। उसके बाद जितना अधिक मैंने पढ़ा और शोध किया उतना ही मुझे विश्वास हुआ कि हर किसी को यह कहानी जानने की जरूरत है। जब मेघना तलवार, जिन्होंने शोध किया, ने बाइबिल मेरे सामने रखी तो मैं कहानी को तुरंत आकार लेते हुए देख सकती था। फिर मैंने अपने सह-लेखकों, भवानी लायर और शांतनु श्रीवास्तव के साथ पटकथा पर काम किया जिससे सैम का जीवन और अधिक सिनेमाई हो गया।

एक महिला निर्देशक के लिए 13 शहरों की व्यापक यात्रा के बावजूद सैम बहादुर जैसी फिल्म बनाना कितना मुश्किल था?
यह अजीब है लेकिन मेरी पहली दो फिल्मों को छोड़कर जब उद्योग बहुत अलग था और लोग इस सच के प्रति थोड़ा अधिक सचेत थे कि मैं एक महिला निर्देशक हूं, जेंडर ने कभी भी मेरे करियर में कोई भूमिका नहीं निभाई। जेंडर की परवाह किए बिना किसी भी निर्देशक के लिए सैम बहादुर एक कठिन फिल्म थी। पूरी तरह से उस कहानी के कारण जो हम बता रहे थे और जिस काल-खंड को कवर किया गया था और फिल्म के कैनवस के लिहाज से। मेरे दल में सभी के लिए कई शहरों की यात्रा समान रूप से कठिन थी लेकिन हम सभी ने एक साथ सैनिक की तरह काम किया। मैं एक पत्नी और मां हूं। घर चलाती हूं, लेकिन मेरे पति गोविंद मेरी सबसे बड़ी पूंजी हैं। वह इन भूमिकाओं को मेरे साथ साझा करते हैं और जब मैं दूर होती हूं तो जिम्मेदारी संभालते हैं। इससे मुझे कहीं भी जाने और फिल्में बनाने की ताकत मिलती है।

इस फिल्म पर आपके परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?
मेरे परिवार को मेरे काम पर बहुत गर्व है। लेकिन मैंने पहले कभी अपनी मां (अभिनेत्री राखी) को मेरी किसी फिल्म पर इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त करते नहीं देखा। सैम बहादुर ने उन्हें बहुत गर्व और संतुष्टि दी। और ठीक मेरे पिता (कवि-गीतकार-फिल्म निर्माता गुलज़ार) को लगता है कि सैम बहादुर ऐतिहासिक मूल्य वाली एक पीढ़ीगत फिल्म है। मेरा बेटा समय अपने 12 से 15 साल के तीन दोस्तों के साथ सैम बहादुर की स्क्रीनिंग के लिए आया था। एक ऐसे व्यक्ति के साथ उनका सहानुभूति भाव देखना संतुष्टिदायक था जो उनकी पीढ़ी से नहीं था।

क्या सैम बहादुर ने बेहतर प्रदर्शन किया होता अगर यह रणबीर कपूर की एनिमल के सामने नहीं आती?
यह मुर्गी और अंडे जैसा प्रश्न है। मेरा मानना ​​है कि हर फिल्म को अपने दर्शक मिलते हैं और सैम बहादुर तथा एनिमल दोनों को अपने-अपने हिस्से के दर्शक मिले। 

क्या आप कभी एनिमल जैसा 'खूनी तमाशा' निर्देशित कर पाएंगी?
मुझे नहीं पता क्योंकि मैंने फिल्म नहीं देखी। उस बारे में कुछ नहीं कहना चाहती, कभी भी। यदि मैं नहीं कर सकती तो यह केवल इसलिए होगा क्योंकि मेरे पास योग्यता नहीं है।

आज सैम के रूप में विकी के अलावा किसी और के बारे में सोचना असंभव है, क्या वह हमेशा आपकी पहली पसंद थे?
हां यह सही है। चूंकि किरदार का सारा दारोमदार प्रदर्शन पर था। मुझे एक ऐसे अभिनेता की जरूरत थी जो सैम के हास्य, विवेक, उसकी ईमानदारी और धार्मिकता को आत्मसात कर सके। जिसमें 20 वर्षीय और 60 वर्षीय व्यक्ति के समान स्वैग हो। मैं विकी के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। एकमात्र अनिश्चितता यह थी कि उसे इस किरदार में कैसे दिखाया जाए क्योंकि उसके बाल घुंघराले हैं जबकि सैम के बाल सीधे थे। साथ ही हम जानते थे कि उसे लेंस और मूंछों के अलावा शायद कृत्रिम नाक की भी जरूरत होगी। जैसे ही वह अमेरिका से लौटे हमने 2019 में एक लुक टेस्ट किया और जब मैंने परिणाम देखे तो मुझे पता चला कि हम 90 प्रतिशत सही थे। आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि विकी ने इस भूमिका को सिर से पांव तक जीया है।

अगले पांच वर्षों में आप खुद को कहां देख रही हैं?
मैंने पिछले पांच साल एक फिल्म के लिए बिताए हैं। अब मैं एक बार में एक साल की योजना बनाना चाहती हूं। यह स्वाभाविक और सहज है और मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे पास दिखाने-बताने के लिए अभी भी कुछ और कहानियां बाकी हैं। एक फिल्म निर्माता के रूप में मुझे गर्व है कि मेरा काम मेरे परिवार या मुझे शर्मिंदा नहीं करता है। मैंने अपने निर्माताओं, अभिनेताओं और दर्शकों का विश्वास हासिल किया है जो मानते हैं कि और कुछ नहीं तो मैं एक गुणवत्ता वाली फिल्म बनाऊंगी और इसमें कुछ न कुछ सही होगा। मेरा कला-पक्ष लगातार बढ़ रहा है। जिस क्षण यह बंद हो जाएगा, फिल्म निर्माण एक कला नहीं रह जाएगी और केवल एक यांत्रिक निष्पादन बनकर रह जाएगी। इसलिए मुझे उम्मीद है कि जब तक मैं इंडस्ट्री में हूं यह बदलाव जारी रहेगा।

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