सिर्फ पृथ्वी पर ही नहीं, अब अंतरिक्ष में भी मौसम में बदलाव की पुष्टि हुई है। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. हेमा खड़ायत के हालिया शोध में ऐसा खुलासा हुआ है। डॉ. हेमा की रिसर्च कहती है कि सूरज में हो रहे विशालकाय विस्फोट अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित कर रहे हैं। उनका यह शोध अमेरिकन जर्नल ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है।
डॉ. हेमा हिमालयी राज्य उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली हैं। उन्होंने सूरज में जिन विशालकाय विस्फोटों का जिक्र किया है, उसे सोलर फ्लेयर कहा जाता है। उन्होंने बताया कि सूर्य की सतह पर अचानक ऊर्जा का विस्फोट होने से सोलर फ्लेयर उत्पन्न होता है।
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कई लाख हाइड्रोजन बम बराबर विस्फोट
ये फ्लेयर कुछ ही मिनटों में इतनी ऊर्जा छोड़ते हैं कि इसे लाखों मेगाटन हाइड्रोजन बम के विस्फोट से तुलना की जा सकती है। इस अत्यधिक ऊर्जा उत्सर्जन से अंतरिक्ष में तापमान बढ़ रहा है और सेटेलाइट सिस्टम तथा स्पेस मिशनों को भी खतरा पैदा हो रहा है।
रिसर्च का नासा ने किया विश्लेषण
उनके अध्ययन में नासा और यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा लिए गए अत्याधुनिक चित्र और स्पेक्ट्रम का विश्लेषण किया गया। डॉ. खड़ायत ने बताया कि सूर्य के प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के विशाल बादलों के फटने से ही ये सौर तूफान बनते हैं, जो अंतरिक्ष में मौसम को अस्थिर कर देते हैं।
अंतरिक्ष में मौसम बदलने से सैटेलाइट और स्पेस ऑपरेशन भी प्रभावित
इस शोध से पता चलता है कि केवल पृथ्वी पर मौसम की गतिविधियां ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष का वातावरण भी लगातार बदल रहा है। इसके प्रभाव से न केवल वैज्ञानिक उपकरण प्रभावित हो सकते हैं, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशन और सेटेलाइट ऑपरेशन्स भी जोखिम में आ सकते हैं।
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