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भारत के बजरंग पूनिया पर 4 साल का बैन, ओलंपियन पहलवान ने बताया साजिश

टोक्यो ओलंपिक में `कांस्य पदक जीतने वाले 30 वर्षीय बजरंग पूनिया को मार्च में नाडा के अधिकारियों को यूरीन सैंपल देने से इनकार करने पर बैन लगाया गया है।

बजरंग पूनिया किसान आंदोलन और पहलवानों के कथित शोषण के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। / X @BajrangPunia

भारत के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया पर चार साल का बैन लगा दिया गया है। यह बैन नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की तरफ से यह बैन डोपिंग टेस्ट से बचने का आरोप लगाते हुए लगाया गया है। पूनिया ने प्रतिक्रिया में आरोप लगाया है कि यह कार्रवाई व्यक्तिगत द्वेष और राजनीतिक साजिश के कारण की गई है। 

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले 30 वर्षीय बजरंग पूनिया को मार्च में नाडा के अधिकारियों को मूत्र का नमूना देने से इनकार करने के लिए अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। नाडा ने अब अपने बयान में कहा है कि पूनिया के विरोध के बाद शुरू में निलंबन हटा लिया गया था, लेकिन उसके बाद उन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

बजरंग पूनिया ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि उन्होंने डोपिंग जांच से कभी इनकार नहीं किया। उन्होंने अधिकारियों द्वारा एक्सपायर्ड किट से सैंपल लेने का विरोध किया था। नाडा जब चाहे, मेरा डोपिंग टेस्ट ले सकती है, लेकिन यह टेस्ट वैध और मान्य किट से होना चाहिए। 

पूनिया ने आरोप लगाया कि चार साल का यह बैन उस आंदोलन का बदला लेने के लिए लगाया गई है जो हमने महिला पहलवानों के समर्थन में चलाया था और अन्याय व शोषण के खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और फेडरेशन ने मुझे फंसाने और मेरे करियर को खत्म करने के लिए यह चाल चली है। यह फैसला निष्पक्ष नहीं है, बल्कि मेरे और मेरे जैसे अन्य खिलाड़ियों को चुप कराने की कोशिश है।

बता दें कि बजरंग पूनिया पिछले साल ओलंपियन विनेश फोगाट समेत अन्य कई पहलवानों के साथ भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ नई दिल्ली में धरने पर बैठे थे। सिंह पर महिला खिलाड़ियों से छेड़छाड़ और यौन संबंध की मांग करने के आरोप लगाए गए थे। 

वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) का कहना है कि 2022 में भारत ने दुनिया में सबसे अधिक ड्रग चीट दर्ज की थी। भारत एकमात्र ऐसा देश था जिसके डोप टेस्ट के 100 से अधिक पॉजिटिव परिणाम आए। चीन, अमेरिका और रूस जैसे देशों से भी बहुत से एथलीटों का टेस्ट किया गया था, लेकिन वहां उल्लंघन के मामले कम थे। 



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