एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने बीत शुक्रवार न्यूयॉर्क स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास में प्रवासी भारतीयों से मुलाकात की और भारत के विकास में समुदाय के वित्तीय और सांस्कृतिक योगदान तथा भारत-अमेरिका साझेदारी को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका पर चर्चा की।
यह बैठक भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में प्रमुख भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने और H-1B वीजा शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है। इस कदम से भारतीय व्यवसायों और अमेरिका में प्रवासी भारतीयों दोनों की चिंता बढ़ गई है।
भाजपा सांसद और विदेश मामलों की स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने कहा कि आप्रवासी भारतीय हमारे राष्ट्र के लिए एक संपत्ति हैं। चौधरी ने 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित किया जिसमें विभिन्न राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के सांसद शामिल थे और मोदी सरकार के 'विकसित भारत 2047' एजेंडे पर जोर दिया।
प्रतिनिधिमंडल ने लगभग 90 भारतीय-अमेरिकियों से बात की। इनमें से कई अमेरिका में व्यापार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सामुदायिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कई लोगों ने इस बातचीत की सराहना करते हुए विदेश में रहने के दौरान आने वाली समस्याओं, जैसे कि स्वदेश में संपत्ति के लेन-देन, का भी जिक्र किया।
कांग्रेस सांसद और प्रतिनिधिमंडल के सदस्य विवेक तन्खा ने व्यापार और राजनीति में भारतीय अमेरिकियों के निर्णायक प्रभाव को स्वीकार किया और इस बैठक को समुदाय के साथ जुड़ने का एक मूल्यवान अवसर बताया।
कार्यक्रम में न्यू जर्सी राज्य के सीनेटर राज मुखर्जी और विन गोपाल, जो दोनों भारतीय मूल के हैं, ने भी इसी तरह की टिप्पणियां कीं। यह यात्रा प्रतिनिधिमंडल के व्यापक अमेरिकी प्रयासों का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य संसदीय और सामुदायिक स्तर पर जुड़ाव के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना था।
हालांकि, भारत सरकार अभी तक ट्रम्प के पारस्परिक शुल्कों या वीजा शुल्क वृद्धि पर बातचीत नहीं कर पाई है जिससे आने वाले कुछ महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
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