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भारतीय मूल की शोधकर्ता ने एआई-संचालित सर्जिकल रोबोट विकसित किया

शोधकर्ता कलावाकोंडा ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें इंजीनियरिंग परिप्रेक्ष्य के साथ-साथ मानव-केंद्रित समझ विकसित करनी होगी।

शोधकर्ता निवेदिता कलावाकोंडा / University of Washington

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी (UW) की इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग (ECE) की डॉक्टरेट छात्रा निवेदिता कलावाकोंडा न्यूरोसर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान सर्जनों की सहायता के लिए एक बुद्धिमान रोबोट विकसित करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रही हैं।

विज्ञान कथा और अपने भारतीय न्यूरोसर्जन पिता की चिकित्सा पद्धति से प्रेरित चेन्नई की मूल निवासी कलावाकोंडा का काम रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वास्थ्य देखभाल नवाचार के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण का मिश्रण है।

प्रोफेसर ब्लेक हैनाफोर्ड के मार्गदर्शन में UW बायोरोबोटिक्स लैब में विकसित यह परियोजना एक रोबोटिक सहायक पर केंद्रित है जो सर्जन के व्यवहार के अनुरूप ढलते हुए स्वायत्त रूप से सहायक कार्य करता है। जैसे सक्शन के साथ सर्जिकल क्षेत्रों को साफ करना। यह नवाचार 1-2 सेंटीमीटर के संकीर्ण सर्जिकल क्षेत्र में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अनुकूली AI शिक्षण मॉडल और प्रक्षेपवक्र भविष्यवाणी का लाभ उठाता है।

कलावाकोंडा का कहना है कि यह एक बहुत ही जन-केंद्रित समस्या है। अगर हम इसे केवल इंजीनियरिंग मानसिकता के साथ देखते हैं तो हम जो मददगार होगा उसके लिए अनुकूलन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें इंजीनियरिंग परिप्रेक्ष्य के साथ मानव-केंद्रित समझ विकसित करनी होगी।

अनुसंधान के व्यापक निहितार्थ हैं। संभावित रूप से आर्थोपेडिक्स, स्त्री रोग विज्ञान और हृदय शल्य चिकित्सा जैसे अन्य शल्य चिकित्सा क्षेत्रों को इसका लाभ होगा। कलावाकोंडा का दृष्टिकोण गैर-चिकित्सा प्रौद्योगिकियों तक भी विस्तारित हो सकता है, जिसमें सेल्फ-ड्राइविंग कारें और रोबोटिक होम असिस्टेंट शामिल हैं। उनका अनुमान है कि उनके प्रोटोटाइप का 7-10 वर्षों के भीतर व्यावसायीकरण किया जा सकता है, जिससे कम संसाधन वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

कलावाकोंडा की शैक्षणिक यात्रा भारत के कोयंबटूर में अमृता स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग से शुरू हुई जहां उन्होंने 2014 में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने सर्जिकल रोबोटिक्स पर काम करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास में शोध किया। हैनफोर्ड से शोध के बाद मेडिकल रोबोटिक्स में उनकी रुचि गहरी हो गई, जिसके कारण उन्होंने UW ECE में उन्नत अध्ययन किया। यहां उन्होंने 2017 में मास्टर डिग्री हासिल की और 2025 की शुरुआत के साथ डॉक्टरेट पूरा करने की राह पर हैं।
 

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