भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बुधवार को जारी अपने मासिक बुलेटिन में कहा कि वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक तनावों के दोहरे झटकों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में ब्याज दरों में उम्मीद से ज्यादा 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, साथ ही बैंकों के लिए रिज़र्व रेशियो (CRR) भी घटाया गया, ताकि विकास को प्रोत्साहन मिल सके। महंगाई कम होने के चलते केंद्रीय बैंक को नीतिगत समर्थन देने का अवसर मिला।
आरबीआई के 'स्टेट ऑफ द इकॉनमी' लेख में कहा गया, "अत्यधिक वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में मई 2025 के विभिन्न हाई-फ्रीक्वेंसी संकेतकों से भारत में औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में मजबूत गतिविधि देखने को मिलती है।"
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कृषि और महंगाई दोनों में सकारात्मक संकेत
बुलेटिन के अनुसार, 2024-25 के दौरान कृषि उत्पादन में भी प्रमुख फसलों के स्तर पर समग्र वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान खुदरा महंगाई (रिटेल इनफ्लेशन) भी लगातार चौथे महीने लक्ष्य से नीचे रही। मई 2025 में खुदरा महंगाई घटकर 2.82% पर आ गई, जो पिछले छह सालों में सबसे कम रही। अप्रैल में यह आंकड़ा 3.16% था।
क्रेडिट ट्रांसमिशन के लिए अनुकूल माहौल
आरबीआई ने यह भी कहा कि वित्तीय परिस्थितियाँ फिलहाल अनुकूल बनी हुई हैं, जिससे दरों में की गई कटौती का प्रभाव उधारी बाज़ार तक बेहतर तरीके से पहुंच सकता है। बुलेटिन में यह भी कहा गया कि जुलाई में व्यापार नीति से जुड़े निर्णय (टैरिफ हॉल्ट के बाद) और भविष्य के भू-राजनीतिक घटनाक्रम भारत की मध्यम अवधि की आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने भी अपने फैसले में यह दोहराया कि "भविष्य की नीति पूरी तरह आंकड़ों पर आधारित होगी और विकास तथा महंगाई के बीच संतुलन बनाना प्राथमिकता रहेगी।"
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