भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 1.55% पर आ गई है, यह पिछले आठ वर्षों का सबसे निचला स्तर है। खाद्य कीमतों, खासकर सब्ज़ियों और दालों के दाम में भारी गिरावट के कारण यह गिरावट दर्ज हुई। जून में खुदरा महंगाई दर 2.10% थी, जबकि रॉयटर्स के पोल में 1.76% का अनुमान लगाया गया था। यह दर जून 2017 के बाद सबसे कम है और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2%-6% के लक्ष्य दायरे से नीचे है।
आरबीआई को महंगाई दर तीन तिमाहियों तक इस दायरे से बाहर रहने पर सरकार को कारण बताना होता है। 2% से कम महंगाई कमजोर मांग का संकेत देती है, जो किसानों की आय और ग्रामीण खर्च पर असर डाल सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है क्योंकि यह गिरावट अस्थायी और खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव से जुड़ी है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ये आंकड़े उम्मीद के मुताबिक हैं और आरबीआई की नीतिगत फैसलों पर इनका असर सीमित रहेगा। इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया था और ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
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हालांकि, इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिए, जिससे कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया। सरकार का अनुमान है कि अमेरिका को होने वाले भारत के करीब 55% माल निर्यात इन टैरिफ़ के दायरे में आएंगे।
कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई में गिरावट और टैरिफ़ से विकास दर पर पड़ने वाले असर के चलते आगे ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश बन सकती है। आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री सुजन हजरा के अनुसार, अगर अमेरिकी टैरिफ़ से GDP में 30–40 आधार अंकों की गिरावट आती है, तो आरबीआई आगे और दरें घटा सकता है। जुलाई में खाद्य कीमतें 1.76% गिरीं, जबकि जून में यह गिरावट 1.01% थी। सब्ज़ियों के दाम सालाना आधार पर 20.69% गिरे, जबकि दालों की कीमतों में 13.76% की गिरावट आई।
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, भले ही खाद्य महंगाई में कमी किसानों के लिए प्रतिकूल हो, लेकिन ग्रामीण मजदूरी में बढ़ोतरी, अच्छी खरीफ बुवाई और फसल की मजबूत आमद इस असर को संतुलित कर सकती है। मासिक आधार पर जुलाई में कुछ सब्ज़ियों के दाम बढ़े, लेकिन दालों की कीमतें घटती रहीं। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़कर 2.1% तक जा सकती है।
कोर महंगाई (जिसमें खाद्य और ऊर्जा कीमतें शामिल नहीं होतीं) जुलाई में 4%-4.12% के बीच रही, जो जून के 4.4%-4.5% से कम है। भारत की आधिकारिक सांख्यिकी एजेंसी कोर महंगाई का अलग से आंकड़ा जारी नहीं करती।
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