कोलकाता में जन्मी हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका अत्री कोटल ने अटलांटा में एक यादगार संगीत प्रदर्शन पेश किया। उन्होंने खयाल गायन और ग़ज़लों के माध्यम से शास्त्रीय परंपरा, भावनाओं और नॉस्टैल्जिया को बखूबी दर्शाया, जिससे उनकी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रभावशाली पहचान और भी मजबूत हुई।
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गायिका और उनकी प्रशिक्षण पृष्ठभूमि
अत्री कोटल गायन में पारंगत हैं और उन्हें भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पंडित बिरेश रॉय और उस्ताद जै़नुल अबेदिन से प्रशिक्षण लिया है। इसके अलावा, उन्होंने पंडित अजय चक्रवर्ती के मार्गदर्शन में दो साल तक सेमी-क्लासिकल (ठुमरी) गायन की शिक्षा भी प्राप्त की। कोटल के पास कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री भी है।
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