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Immigration: 'यूनिवर्सिटी कैंपस में भय', US में छात्र वीजा रद्द होने पर अमेरिकी सांसद जयपाल

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद जयपाल ने एक पत्र  में ट्रंप सरकार की नई नीतियों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर कई बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा है कि इमिग्रेशन पॉलिशी विदेशी छात्रों को टारगेट करते तैयार की गई है। इसके जरिए अब विश्वविद्यालय परिसरों को "भय के स्थानों" के रुप में बदला जा रहा है। 

US students fear in university /

डोनाल्ड ट्रम्प सरकार की कठोर आव्राजन नीति (Immigration Policy) की अमेरिका में विपक्षी दल जमकर आलोचना कर रहे हैं। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद जयपाल ने एक पत्र  में ट्रंप सरकार की नई नीतियों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर कई बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा है कि इमिग्रेशन पॉलिशी विदेशी छात्रों को टारगेट करते तैयार की गई है। इसके जरिए अब विश्वविद्यालय परिसरों को "भय के स्थानों" के रुप में बदला जा रहा है। 

'विदेशी छात्रों का वीजा रद्द होना राजनीति से प्रेरित'
सांसद जयपाल ने ट्रंप प्रशासन को लिखे एक पत्र में यूएस की मौजूदा सरकार की इमिग्रेशन पॉलिशी को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने सदन में कहा कि 1,800 से अधिक छात्रों के वीजा रद्द किए जाने और 4,736 की कानूनी स्थिति समाप्त किए जाने के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों के परिसर में विदेशी छात्रों के बीच भय का माहौल बन चुका है। 

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ट्रम्प प्रशासन की नीतियों से संघीय नियमों का उल्लंघन: सांसद जयपाल
सांसद जयपाल ने 1 मई को होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) और राज्य विभागों के अधिकारियों को संबोधित एक पत्र में, सांसदों ने छात्र वीजा के व्यापक निरसन और कानूनी स्थिति की समाप्ति पर जवाब मांगा। पत्र में सांसद ने लिखा कि ट्रंप सरकार की नीतियों में पारदर्शिता की कमी है और इससे संघीय नियमों का उल्लंघन होता है।

US की आव्रजन नीति का अमेरिका के 280 कॉलेजों पर असर 
दरअसल, भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद जयपाल ने ट्रंप प्रशासन का यह पत्र उन रिपोर्टों के बाद लिखा है, जिनमें कहा गया है कि 280 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 1,800 से अधिक छात्रों और हाल ही में स्नातक हुए छात्रों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, डीएचएस ने पुष्टि की है कि 20 जनवरी, 2025 से, इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) ने स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर इंफॉर्मेशन सिस्टम (SEVIS) में कम से कम 4,736 छात्रों की कानूनी स्थिति को समाप्त कर दिया है।

पत्र में लिखा गया है, "अमेरिका को ऐसे देश के प्रतिनिधियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए जो आस्था के आधार पर नागरिकों को निशाना बनाने वाले संगठनों की रक्षा और बढ़ावा देता है।" छात्रों ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को एक पत्र भी लिखा, जिसमें भारत के प्रति परोक्ष धमकी देने वाले पाकिस्तानी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।

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