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मोरक्को में प्रवासी भारतीयों से मिले राजनाथ सिंह, ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र

रक्षा मंत्री ने मोरक्को में प्रवासी भारतीयों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के संयम और आतंक के सफाए के संकल्प का जिक्र किया।

मोरक्को में प्रवासी भारतीयों के बीच राजनाथ सिंह / PIB Website

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पिछले सप्ताह मोरक्को पहुंचे। यहां उन्होंने रबात में भारतीय समुदाय से बातचीत की। इस दौरान भारतवंशियों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के सशस्त्र बलों की कार्रवाई की सराहना की। 

इस मौके पर रक्षा मंत्री ने दोहराया कि पहलगाम में निर्दोष भारतीयों पर हुए कायराना हमले के बाद आंतकियों का सफाया करने के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई। इस विशेष ऑपरेशन का उद्देश्य जिन महिलाओं के सामने उनके पतियों और संतानों को मारा गया उसका बदला चुकता था। इस जवाबी कार्रवाई करने के लिए सशस्त्र बलों को पूरी आजादी दी गई थी। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की यह कार्रवाई सूझबूझ भरी थी। उन्होंने  देश के दृढ़ लेकिन संयमित दृष्टिकोण का वर्णन करने के लिए रामचरितमानस का हवाला दिया, और कहा, "हमने धर्म देख कर नहीं, कर्म देख कर मारा है।" 

प्रवासी भारतीयों के साथ एक स्पष्ट बातचीत में, श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दशक में भारत द्वारा हासिल की गई बहुआयामी प्रगति पर प्रकाश डाला।

वैश्विक और भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने कहा कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, जो दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से बढ़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और जल्द ही शीर्ष तीन में शामिल होने के लिए तैयार है। 

रक्षा मंत्री ने भारत के डिजिटल परिवर्तन, ज्ञान अर्थव्यवस्था में तेज़ प्रगति और स्टार्टअप्स की संख्या में एक दशक पहले के 18 यूनिकॉर्न से बढ़कर आज 118 तक पहुंचने पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के रक्षा उद्योग की उल्लेखनीय वृद्धि को रेखांकित किया, जिसने 1.5 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 100 से अधिक देशों को 23,000 करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा निर्यात हासिल किया।

श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय समुदाय की कड़ी मेहनत, समर्पण और ईमानदारी की सराहना की, जो दुनिया भर में भारतीय चरित्र की मज़बूती को दर्शाता है। उन्होंने विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के शब्दों को याद करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संस्कृति में, चरित्र ही व्यक्ति की असली पहचान है। 
 

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