वाशिंगटन द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों में शुल्क वृद्धि के बाद भारत ने अब अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क वृद्धि की प्रस्ताव रखा है। इसको निर्णय को लेकर भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया। भारत का नया कदम दोनों देशों को बीच बढ़ते व्यापारिक टकराव की स्थिति की दर्शाता है। WTO फाइलिंग में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत ने अपने धातु निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के आर्थिक प्रभाव को कम करने के उपाय के रूप में काउंटर ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा है।
भारत ने आधिकारिक तौर पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) को चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने के अपने प्रस्ताव की सूचना दी है, जो वाशिंगटन द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए शुल्कों के जवाब में है। इस सप्ताह सार्वजनिक की गई आधिकारिक WTO फाइलिंग के अनुसार, भारत ने अपने धातु निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के आर्थिक प्रभाव को कम करने के उपाय के रूप में काउंटर ड्यूटी का प्रस्ताव रखा, जो 2018 से लागू है।
अधिसूचना में बताया गया है कि भारत भारत को भेजे जाने वाले कुछ अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के लिए प्राधिकरण चाहता है, हालांकि विशिष्ट वस्तुओं और टैरिफ दरों का खुलासा अभी किया जाना बाकी है। भारत का यह कदम भारतीय स्टील और एल्युमीनियम निर्यात पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए निरंतर शुल्कों से शुरू हुए व्यापार विवाद को दर्शाता है।
कहां से उपजा विवाद?
व्यापार संघर्ष ट्रम्प प्रशासन के तहत अमेरिका के उस निर्णय से उपजा है, जिसमें व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए स्टील पर 25% और एल्युमीनियम आयात पर 10% का वैश्विक टैरिफ लगाया गया था। जबकि कई देशों को छूट दी गई या बातचीत के जरिए समाधान निकाला गया, भारत राहत के बार-बार अनुरोध के बावजूद इन शुल्कों के अधीन रहा।
जबकि 2019 में, भारत ने बादाम, सेब और अखरोट सहित 28 अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दी थी। हालाँकि कुछ शुल्क लागू किए गए थे, लेकिन अन्य को चल रही व्यापार वार्ता और भू-राजनीतिक विचारों के बीच स्थगित रखा गया था।
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भारत का एक और WTO नोटिस
अपने नवीनतम WTO सबमिशन में, भारत ने उल्लेख किया कि इन शुल्कों के निरंतर लागू होने से उसके घरेलू इस्पात और एल्यूमीनियम उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिसके लिए आनुपातिक प्रतिवाद की आवश्यकता है। नोटिस में WTO नियमों के तहत भारत के कानूनी अधिकार पर जोर दिया गया है कि वह पारस्परिक रूप से सहमत समाधान के अभाव में संतुलन उपाय के रूप में ऐसे शुल्कों को अपना सकता है।
नोटिस में लिखा है, "भारत WTO समझौते के तहत पर्याप्त रूप से समतुल्य रियायतों और अन्य दायित्वों को निलंबित करने का अपना अधिकार सुरक्षित रखता है," और कहा कि अमेरिका के साथ परामर्श से कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकला है।
अमेरिका-भारत व्यापार संबंध
हाल के कुछ वर्षों को भीतर अमेरिका और भारत के बीच सहयोग के साथ कुछ मुद्दों पर टकराव भी देखा गया। भारत की ओर शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में कुछ ऐसी ही स्थिति की दर्शाता है। हालांकि दोनों देशों ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में संबंधों का विस्तार किया है, लेकिन टैरिफ से लेकर बाजार पहुंच और डिजिटल व्यापार तक कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो अब भी अनसुलझे हैं।
वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत का जवाब प्रस्ताव द्विपक्षीय वार्ता पर नकरात्मक असर डाल सकता है। भारत के प्रस्ताव की अब WTO की DSB टीम समीक्षा करेगी। अगर परामर्श के जरिए कोई समाधान नहीं निकलता है, तो भारत शुल्क वृद्धि के लिए प्राधिकरण गठित करने का अनुरोध कर सकता है।
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उद्योगपतियों ने क्या कहा?
अमेरिका और भारत की बीच व्यापार संबधों में टकराव की स्थिति को लेकर यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स और कई अमेरिकी कृषि समूहों ने चिंता व्यक्त की है। वहीं दूसरी ओर भारतीय धातु उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है, इसे घरेलू निर्माताओं की रक्षा करने और व्यापार समानता बनाए रखने के लिए एक आवश्यक कदम बताया है।
भारत ने क्या कहा?
भारत की ओर से सोमवार को एक नोटिस में कहा, "रियायतों या अन्य दायित्वों के प्रस्तावित निलंबन का रूप संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादित चुनिंदा उत्पादों पर टैरिफ में वृद्धि है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस साल की शुरुआत में पदभार ग्रहण करने के बाद से ही व्यापक वैश्विक टैरिफ लागू किए हैं, जिसमें स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर शुल्क लगाना शामिल है, 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान इसी तरह के उपाय किए थे। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कच्चे इस्पात उत्पादक भारत ने विश्व व्यापार संगठन को बताया कि वाशिंगटन के "सुरक्षा उपायों" से संयुक्त राज्य अमेरिका में आयात किए जाने वाले भारत निर्मित 7.6 बिलियन डॉलर मूल्य के उत्पाद प्रभावित होंगे। अमेरिकी उत्पादों पर भारत द्वारा प्रस्तावित शुल्क ऐसे समय में लगाया गया है जब दोनों देश एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसमें नई दिल्ली ने टैरिफ अंतर को दो-तिहाई तक कम करने की पेशकश की है।"
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