ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT

भारत में प्रति व्यक्ति आय चीन, कोरिया से कम क्यों, शिक्षा पर संकट कैसे?

भारत जब वर्ष 1947 में आजाद हुआ उस वक्त प्रति व्यक्ति के मामले में भारत, चीन और कोरिया एक ही स्तर पर थे। लेकिन वर्तमान में चीन की प्रति व्यक्ति आय $30,000 और कोरिया $36,000 से $40,000 के बीच है, जबकि भारत में व्यक्ति आय $2,500 है।

सतीश झा /

भारत जब वर्ष 1947 में आजाद हुआ उस वक्त प्रति व्यक्ति के मामले में भारत, चीन और कोरिया एक ही स्तर पर थे। लेकिन वर्तमान में चीन की प्रति व्यक्ति आय $30,000 और कोरिया $36,000 से $40,000 के बीच है, जबकि भारत में व्यक्ति आय $2,500 है। भारत तमाम सुधारों के बावजूद अब तक विकासशील देर क्यों बना हुआ है? दक्षिण कोरिया और चीन से प्रति व्यक्ति आय के मामले में पिछड़ने के क्या मायने हैं? इसकी वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षा अधिवक्ता सतीश झा कुछ अहम वजह बताई है। भारत के  भारत की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को सबसे अधिक जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि  भारत शिक्षा परिणामों के मामले में चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से दशकों पीछे है।

हिंदी दैनिक जनसत्ता के सह-संस्थापक सतीश झा ने पिछले एक दशक में भारत में बुनियादी शिक्षा को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। एक साक्षात्कार में सतीश झा ने कहा कि भारत जिस वक्त आजाद हुआ देश के हालात चीन और कोरिया जैसे ही थे। लेकिन आजादी के बाद चीन ने शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि भारत ने ऐसा नहीं किया। झा ने कहा, "अधिक से अधिक 1-2 प्रतिशत भारतीयों को ऐसी शिक्षा मिल पाती है, जिससे वे अपने लिए नई राह तलाश सकते हैं। बाकी लोग... वहीं रहते हैं जहां वे थे।"

भारत की शिक्षा को लेकर झा ने खुलकर बात की। उन्होंने अपनी शैक्षणिक सफलता का श्रेय सरकारी छात्रवृत्ति को देते हुए कहा, "जब मुझे छात्रवृत्ति के बारे में कोई समझ नहीं थी, तब सरकार ने मुझे छात्रवृत्ति दी होती... तो अधिकांश छात्रों के लिए यह अवसर नहीं बढ़ाया गया होता।" 

यह भी पढ़ें: Repairify CEO: श्रीसु सुब्रह्मण्यम बने रिपेयरिफाई के नए सीईओ

झा वर्ष 2007-08 के आसपास शिक्षा सुधार में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। जिसका कुछ प्रभाव एमआईटी के मीडिया लैब में उनके समय और प्रो. निकोलस नेग्रोपोंटे द्वारा प्रति बच्चे एक लैपटॉप पहल से पड़ा। उन्होंने रिएक्शन पिंगला जैसे कार्यक्रम की शुरुआत की। ये नाम  प्राचीन भारतीय विद्वान के नाम पर रखा गया था इसके जरिए बच्चों की वैज्ञानिक अवधारणाओं को जल्दी समझने में मदद करने के उद्देश्य से बाइनरी सिस्टम विकसित किया गया।

आधुनिक शिक्षा मॉडल पर खर्च 
सतीश झा ने बच्चों की शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि तकनीक पर न्यूनतम संसाधन खर्च करना कारगर नहीं है। उन्होंने कहा, " अगर आप इन छात्रों पर सिर्फ तकनीक के लिए पांच साल में 1 लाख रुपये से कम निवेश करते हैं, तो आप गर्म तवे पर पानी की कुछ बूंदें फेंकने जैसा है। झा मानते हैं कि एक परिवार द्वारा संचालित संस्था के रूप में उनकी क्षमता अपनी सीमा तक पहुंच गई है। हमारा लक्ष्य ऐसे कार्यक्रम बनाना था जो यह प्रदर्शित करें कि क्या हासिल किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि अब वे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों से व्यापक समर्थन की मांग कर रहे हैं। मेरा शुरुआती लक्ष्य था: मैं एक करूँगा, समाज को 99 करने चाहिए। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।"

अब वे आश्रय समर्थित स्कूलों में छात्रों के लिए छात्रवृत्ति मार्ग बनाने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड में सोमरविले कॉलेज और यू.एस. में अन्य संस्थानों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, "हम यह काम परिणाम, सीखने के परिणाम के लिए कर रहे हैं... नाम के लिए नहीं।"

यह भी पढ़ें: 'भारत-पाक को US के लिए समान बताना उचित नहीं', उद्यमी विभूति झा ने उठाए सवाल

 

 

 

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video