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UN में गूंजा J&K का मामला, पाक पर आरोप

UNHRC में औपचारिक रूप से दर्ज की गई शिकायत में पाकिस्तान पर 1948 के नरसंहार सम्मेलन के अनुच्छेद 2 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इस पर भारत, पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और केन्या के हिंदू, ईसाई, सिख, यहूदी, मुस्लिम और पूर्व मुस्लिमों सहित विविध पृष्ठभूमि के 60 व्यक्तियों और संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं।

Hindus Advancing Human Rights India (HAHRI), an initiative of HinduPACT / HinduPACT /

जम्मू कश्मीर में लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर शिकंजा कसने के बावजूद कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिसके बाद भारत को बड़ा एक्शन लेना पड़ता है। उरी हमले के बाद बाद भी भारत ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह किया है। अब पहलगाम में पर्यटकों के हमले के बाद पीओके की राजधानी फैसलाबाद में पाकिस्तान द्वारा संरक्षित आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया है। हाल की कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पहुंचने वाले पर्यटकों को निशाना बनाया। ऐसे में एक हिंदू अधिकार समूह ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में इसकी शिकायत की है। समूह ने आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान एक- एक कर हिंदुओं की हत्या कर रहा है।

जम्मू कश्मीर में पाकिस्तार कर रहा हिंदुओं की हत्या: HAHRI

पहलगाम हमले के बाद हिंदूपैक्ट की पहल हिंदू एडवांसिंग ह्यूमन राइट्स इंडिया (HAHRI) द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में दायर शिकायत में पाकिस्तान पर हिंदुओं की हत्या करने के आरोप लगाए गए हैं। HAHRI ने कहा है कि पहलगाम में हिंदुओं पर हुआ हमला पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित था। हिंदू राइट्स समूह ने अपनी शिकायत में हाल के कुछ वर्षों में हुई आतंकी घटनाओं आधार बनाया गया है।   HAHRI ने पहलगाम हत्याकांड सहित हाल ही में हुई हिंसा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय एक्शन स्तर के की मांग की गई है। समूह ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान हिंदुओं का "बूंद-बूंद नरसंहार" कर रहा है। पहलगाम में आतंकी हमला का इसका उदाहरण है। 

UNHRC में औपचारिक रूप से दर्ज की गई शिकायत में पाकिस्तान पर 1948 के नरसंहार सम्मेलन के अनुच्छेद 2 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इस पर भारत, पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और केन्या के हिंदू, ईसाई, सिख, यहूदी, मुस्लिम और पूर्व मुस्लिमों सहित विविध पृष्ठभूमि के 60 व्यक्तियों और संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं। हस्ताक्षरकर्ताओं में अधिकार समूह, विद्वान, लेखक और संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अमेरिकी विदेश विभाग जैसे संस्थानों के पूर्व अधिकारी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: India-Pakistan: 'संयम बरतें दक्षिण एशियाई देश', संयुक्त राष्ट्र ने की अपील 

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि "पाकिस्तान की राज्य मशीनरी और उसके कट्टरपंथी नागरिकों के हर स्तर पर नरसंहार किया जा रहा है।" इसमें पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में तेज गिरावट का उल्लेख किया गया है, जो 1947 में 23 प्रतिशत से घटकर आज तीन प्रतिशत हो गई है, जो व्यवस्थित हिंसा और उत्पीड़न का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

'कभी पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों धर्म की रक्षा की खाई थी कसम'

इसमें संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदकों और पाकिस्तानी सरकारी स्रोतों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए दुर्व्यवहार के पैटर्न की भी रूपरेखा दी गई है: हिंदू और ईसाई महिलाओं और लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन; घृणा को बढ़ावा देने वाली स्कूली पाठ्यपुस्तकें; झूठे ईशनिंदा के आरोपों का व्यापक उपयोग, और गैर-मुस्लिम धार्मिक स्थलों का अपमान जैसी कार्रवाइयों को "पाकिस्तान की मूल घृणा और एक शुद्ध इस्लामी राज्य की खोज में निहित एक इस्लामवादी विचारधारा" से जोड़ता है। हालांकि पाकिस्तान ने 1950 में  अल्पसंख्यकों के धर्म की रक्षा करने की प्रतिज्ञा ली थी। 


हिंदूपैक्ट की पहल हिंदू एडवांसिंग ह्यूमन राइट्स इंडिया (HAHRI) की शिकायत समूह के कार्यकारी निदेशक राहुल सूर और हिंदूPACT की सह-संयोजक दीप्ति महाजन ने की है। UNHRC को भेजे गए पत्र में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF), उत्तरी अमेरिका में हिंदुओं का गठबंधन (CoHNA), इनसाइट यूके, अमेरिकन्स4हिंदूज, क्लैरिटी गठबंधन के सदस्य और AHA फाउंडेशन के प्रमुखों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

HAHRI की UNHRC से प्रमुख मांगें

  • कथित नरसंहार के अपराधियों की पहचान करने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण की स्थापना करने का प्रस्ताव UNSC को भेजा जाए।
  • संयुक्त राष्ट्र की महिला समेत संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को न्यायाधिकरण का समर्थन करने और जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अधिकृत किया जाए।
  • पाकिस्तान को सभी नफरत फैलाने वाली शैक्षिक सामग्री जब्त करने का निर्देश दिया जाए।
  • पीड़ितों के लिए एक मुआवज़ा तंत्र बनाया जाए, जिसे पाकिस्तानी सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाए।

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