भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात के बीच पाकिस्तानी सरकार ने आईएमएफ समेत मित्र देशों से लोन की गुहार लगाई है। पाक विदेश मंत्रालय ने अपील की है कि भारत के साथ युद्ध लड़ने में उसे काफी नुकसान हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया बैठक में भारत ने पाकिस्तान को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहास "सीमापार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश को बार-बार इनाम देना न सिर्फ वैश्विक मूल्यों का अपमान है, बल्कि यह फंडिंग एजेंसियों और डोनर्स के लिए भी साख का खतरा पैदा करता है।”
भारत ने क्या कहा
भारत ने IMF मंच पर जोर देकर कहा कि पाकिस्तान जैसे देशों को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता, विशेष रूप से फंगिबल (परिवर्तनीय) वित्तीय प्रवाह, का दुरुपयोग सैन्य और आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। भारत की यह चिंता कई सदस्य देशों में गूंज बनकर उभरी, लेकिन IMF की प्रतिक्रिया प्रक्रियात्मक और तकनीकी औपचारिकताओं तक सीमित रही। भारत ने कहा, "यह एक गंभीर खामी है, और यह दिखाती है कि वैश्विक वित्तीय संस्थानों की प्रक्रिया में नैतिक मूल्यों को उपयुक्त प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है।"
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वोटिंग से बनाई दूरी
भारत ने पाकिस्तान से संबंधित प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बना ली (abstain) और अपना विरोध दर्ज कराया। IMF ने भारत के बयान और इसके स्टैंड को औपचारिक रूप से दर्ज किया है।
भारत ने एक बार फिर दोहराया कि सीमापार आतंकवाद को किसी भी रूप में समर्थन देना पूरी दुनिया के लिए खतरा है, और ऐसे राष्ट्रों को आर्थिक मदद देना आतंक को ईनाम देने जैसा है। भारत ने कहा, "ऐसी फंडिंग वैश्विक सुरक्षा को खतरे में डालती है और इसे नजरअंदाज करना नैतिक विफलता होगी।"
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