भारतीय मूल के राजनीतिज्ञ चंद्र आर्य ने हिंदू पब्लिक अफेयर्स काउंसिल ऑफ कनाडा (Canada HPAC) के गठन की घोषणा की है। काउंसिल हिंदू कनाडाई लोगों की वकालत करने और बढ़ते उग्रवाद का सामना करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय संगठन है।
सोशल मीडिया पर लॉन्च की घोषणा करते हुए पूर्व सांसद ने कनाडा HPAC को 'खेद रहित हिंदू, दृढ़ निश्चयी कनाडाई' के रूप में वर्णित किया। परिषद का मिशन हिंदू विरोधी और खालिस्तानी उग्रवाद में वृद्धि का मुकाबला करना है, जिसके बारे में उनका दावा है कि इसने हिंदू कनाडाई लोगों को मुसीबत में घेर दिया है।
आर्य ने कहा कि ऐसे युग में जब हिंदू विरोधी और खालिस्तानी ताकतें बढ़ रही हैं और हमारा समुदाय घेरे में है, कनाडा HPAC दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। काउंसिल की शुरुआत देश भर में हिंदू मंदिरों को निशाना बनाकर की जाने वाली तोड़फोड़ की बढ़ती घटनाओं और समुदाय के नेताओं को परेशान करने की खबरों के बीच की गई है।
कनाडा HPAC के अनुसार इस तरह की कार्रवाइयां संगठित चरमपंथी नेटवर्क द्वारा की जा रही हैं, जो 'लगभग दंड से मुक्त' हैं। समूह का कहना है कि राजनीतिक चुप्पी और तुष्टिकरण के कारण माहौल और खराब हो गया है।
कनाडा HPAC का कहना है कि यह परिषद सनातन धर्म के सिद्धांतों- सत्य, शांति, कर्तव्य और सद्भाव- में निहित है और हिंदू कनाडाई लोगों के लिए एक स्थायी आवाज के रूप में काम करने का इरादा रखती है। परिषद भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने पर भी जोर देती है, जिसे वह हिंदू धर्म की आध्यात्मिक मातृभूमि के रूप में संदर्भित करती है।
आर्य ने 2015 से 2025 तक लिबरल सांसद के रूप में नेपियन का प्रतिनिधित्व किया और वे खालिस्तानी चरमपंथ के लगातार आलोचक रहे हैं। उनके मुखर रुख ने कथित तौर पर लिबरल पार्टी के भीतर तनाव पैदा कर दिया, जिसका समापन उनके 2025 के नामांकन को रद्द करने में हुआ। जबकि पार्टी के सूत्रों ने भारतीय सरकार के साथ कथित अघोषित संबंधों का हवाला दिया। आर्य ने दावों का खंडन किया और हिंदू समुदाय के लिए उनकी वकालत को इस कदम का जिम्मेदार बताया।
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