इन दिनों पितृ पक्ष चल रहे हैं। लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनके नाम से पूजा कराते हैं और पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों को मोक्ष की राह प्रशस्त होती है। भारत में ऐसे कई तीर्थ स्थल हैं, जहां लोग अपने पितरों को पिंडदान करने दूर-दूर से आते हैं। लेकिन देवभूमि उत्तराखंड के बदरीनाथ धाम के पास ब्रह्मकमाल ऐसी पवित्र भूमि है, जहां पितरों का तर्पण करने से आठ गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। भगवान शिव को भी यहीं ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली थी।
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उत्तराखंड के बदरीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल पर श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण और पिंडदान का माहौल हर साल श्रद्धालुओं को खींचता है। स्थानीय पुरोहितों के अनुसार, इस साल भी अमेरिका, रूस, कनाडा और अन्य देशों से विदेशी यहां आकर तर्पण करा रहे हैं। उनका कहना है कि यहां श्रद्धा से किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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