अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी AMAZON (अमेजन) भारत सरकार से अपील कर रही है कि विदेशी निवेश से जुड़े नियमों में ढील दी जाए, ताकि वह भारतीय विक्रेताओं से सीधे सामान खरीदकर विदेशों में बेच सके। फिलहाल भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को ग्राहकों को सीधे सामान बेचने की अनुमति नहीं है। वे केवल मार्केटप्लेस मॉडल पर काम कर सकती हैं। यही पाबंदी निर्यात पर भी लागू होती है।
सरकार से मीटिंग में रखी मांग
गुरुवार को अमेजन के अधिकारियों ने वाणिज्य मंत्रालय से मुलाकात में यह प्रस्ताव रखा कि निर्यात को इन नियमों से मुक्त किया जाए। इससे अमेजन भारत में विक्रेताओं से सीधे सामान खरीदकर वैश्विक ग्राहकों तक बेच सकेगा। कंपनी का तर्क है कि इससे छोटे विक्रेताओं को फायदा होगा, क्योंकि अमेजन उन्हें कस्टम क्लियरेंस और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच में मदद करेगा।
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छोटे व्यापारियों का विरोध
हालांकि, छोटे व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन और उद्योग समूहों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उनका आरोप है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट पहले से ही बड़े विक्रेताओं को बढ़ावा देते हैं और भारी डिस्काउंट देकर छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन संगठनों ने कहा कि विदेशी कंपनियों को किसी भी तरह की छूट नहीं दी जानी चाहिए।
सरकार की दुविधा
सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। आंतरिक एजेंडा दस्तावेज़ के अनुसार, कोई भी बदलाव ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां भारत के ग्राहकों को सीधे सामान बेचने लगें।यह सुनिश्चित करना होगा कि जो सामान सिर्फ निर्यात के लिए है और जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए है, उनके बीच स्पष्ट अंतर रहे।
अमेजन की दलील
अमेजन का कहना है कि उसने 2015 से अब तक भारतीय विक्रेताओं के लिए $13 अरब (₹1.08 लाख करोड़) का निर्यात कराया है और 2030 तक इसे $80 अरब तक ले जाने की योजना है।
ई-कॉमर्स का बढ़ता बाजार
भारत का ई-कॉमर्स सेक्टर 2024 में लगभग $125 अरब का था और 2030 तक इसके $345 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। अमेजन और फ्लिपकार्ट इस बाजार के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं।
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