भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सुधारों की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह अक्टूबर तक उपभोक्ताओं और कारोबारियों से वसूले जाने वाले खपत कर (जीएसटी) में बड़ी कटौती करेगी। यह कदम अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाया जा रहा है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित जीएसटी संरचना में दो दरें 5% और 18% रखी जाएंगी। वर्तमान में लागू 12% और 28% की दरें खत्म कर दी जाएंगी। योजना के तहत 12% श्रेणी में आने वाले लगभग 99% उत्पादों को 5% स्लैब में लाया जाएगा। इस श्रेणी में मक्खन, फलों का रस और सूखे मेवे शामिल हैं। इससे नेस्ले, हिंदुस्तान यूनिलीवर और प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है।
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यह कर कटौती ऐसे समय में आ रही है जब भारत और अमेरिका के बीच अमेरिकी टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ रहा है। मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने का आह्वान किया और वादा किया कि दिवाली तक जीएसटी में सुधार कर करों को घटाया जाएगा।
मोदी ने कहा, इस दिवाली मैं आपके लिए डबल दिवाली लाऊंगा। बीते आठ वर्षों में हमने जीएसटी में बड़े सुधार किए हैं। अब हम अगले चरण के जीएसटी सुधार ला रहे हैं, जिससे देशभर में कर बोझ घटेगा।
अंतिम फैसला जीएसटी परिषद लेगी, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं और जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। परिषद की बैठक अक्टूबर में होगी।
सिटी के अनुमान के मुताबिक, 12% जीएसटी स्लैब में पैक्ड फूड व बेवरेज, परिधान और होटल आवास जैसे 20% उत्पाद आते हैं, जो कुल खपत का 5-10% और जीएसटी राजस्व का 5-6% हिस्सा हैं। इन्हें 5% और कुछ को 18% स्लैब में ले जाने से सरकार को करीब 50,000 करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.15%) का राजस्व नुकसान हो सकता है। इसके बावजूद, इससे चालू वित्त वर्ष 2025-26 में घरों के लिए कुल आर्थिक प्रोत्साहन 0.6%-0.7% जीडीपी तक पहुंच सकता है।
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