सांकेतिक तस्वीर / Unsplash
दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार बम धमाके के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 17 नवंबर को एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए आरोपी अमीर राशिद अली को स्थानीय अदालत में पेश किया। यह वही मामला है जिसमें तीन लोगों पर हमले में शामिल होने का शक जताया जा चुका है। सभी संदिग्ध कश्मीर के रहने वाले बताए जा रहे हैं हालांकि अभी तक उनकी मंशा या नेटवर्क के बारे में किसी भी तरह की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है।
धमाका पुरानी दिल्ली के रेड फोर्ट के पास स्थित एक व्यस्त मेट्रो स्टेशन के निकट हुआ था जहां उस समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। NIA ने इस विस्फोट में मरने वालों की संख्या 10 बताई है, जबकि अस्पताल से जुड़े अधिकारियों के अनुसार मृतकों की संख्या 12 तक हो सकती है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कथित आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी भी इस संख्या में शामिल थे या नहीं। NIA का आरोप है कि अमीर राशिद अली ने नबी के साथ मिलकर इस हमले की साजिश रची और वह दिल्ली आया था ताकि उस कार की खरीद में मदद कर सके जिसे बाद में विस्फोटक से लैस किया गया।
जांच एजेंसी ने 17 नवंबर की देर रात एक और गिरफ्तारी की जानकारी साझा की। कश्मीर के जासिर बिलाल वानी को हिरासत में लिया गया है, जिस पर आरोप है कि उसने नबी को ड्रोन में बदलाव करने और रॉकेट जैसी तकनीक बनाने की कोशिश में सहायता दी थी। इसी तकनीकी समर्थन को एजेंसी हमले से पहले की तैयारी का हिस्सा मान रही है।
अमीर राशिद अली को पेशी के दौरान कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस ट्रक से कोर्ट लाया गया और अदालत ने उसे दस दिन की NIA हिरासत में भेज दिया। इस पूरे मामले को लेकर भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का रुख बेहद सख्त दिखाई देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को एक गंभीर साजिश बताया और कहा कि इस हमले के पीछे जो भी लोग हैं, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों सहित सबको कानून के दायरे में लाया जाएगा।
इस धमाके ने एक बार फिर राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, खासकर ऐसे समय में जब हाल के महीनों में सीमा पार तनाव और आतंकी घटनाओं में उतार-चढ़ाव देखा गया है। इससे पहले अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में हुए एक हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिसके लिए नई दिल्ली ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था। उस मामले के बाद मई महीने में दोनों देशों के बीच चार दिनों तक चला संघर्ष कम से कम 70 लोगों की जान ले गया था।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मई का संघर्ष सिर्फ एक ट्रेलर था और भारत भविष्य में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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