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न्यूयॉर्क में भारत की विरासत का उत्सव, भारतीय दूतावास ने दान की 100 से अधिक पुस्तकें

भारतीय वाणिज्य दूतावास ने 100 से अधिक पुस्तकों का योगदान किया, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में साहित्य, कला, दर्शन, इतिहास और संस्कृति से जुड़ी हैं।

न्यूयॉर्क में भारत की विरासत का उत्सव / image provided

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने और भारतीय परंपराओं को विश्व पटल पर और सशक्त रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने GOPIO मैनहैटन (ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन) के सहयोग से मिलबर्न फ्री पब्लिक लाइब्रेरी में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।

इस अवसर पर भारतीय वाणिज्य दूतावास ने 100 से अधिक पुस्तकों का योगदान किया, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में साहित्य, कला, दर्शन, इतिहास और संस्कृति से जुड़ी हैं। यह पहल स्थानीय समुदायों को भारत की विविध परंपराओं और आधुनिक विचारधाराओं से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

कार्यक्रम में न्यूयॉर्क में भारत के डिप्टी कौंसल जनरल श्री विशाल जयेशभाई हर्ष, मिलबर्न टाउनशिप की मेयर एनेट रोमानो, मिलबर्न पब्लिक लाइब्रेरी की अध्यक्ष सारा शेरमैन, GOPIO मैनहैटन की सचिव भाव्या गुप्ता और स्थानीय समुदाय के कई प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सपना गुप्ता ने मिलबर्न निवासियों और “फ्रेंड्स ऑफ मिलबर्न लाइब्रेरी” की ओर से किया।

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अपने संबोधन में डिप्टी कौंसल जनरल श्री हर्ष ने कहा, भारत की विरासत केवल उसकी भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है — यह उन सभी की है जो इसकी गहराई और विविधता को जानना चाहते हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से हम न्यू जर्सी के पाठकों तक भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का एक अंश पहुंचाना चाहते हैं।

मिलबर्न की मेयर एनेट रोमानो ने कहा, मिलबर्न सदैव सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक दृष्टिकोण को अपनाता आया है। हमें खुशी है कि हमारा पुस्तकालय भारत की कला, इतिहास और दर्शन का अध्ययन करने का माध्यम बनेगा। लाइब्रेरी के निदेशक माइकल बैनिक ने कहा कि यह पहल भारत और स्थानीय समुदाय के बीच संबंधों को और मजबूत करती है।

GOPIO मैनहैटन की सचिव भाव्या गुप्ता ने कहा, यह पहल मिलबर्न पब्लिक लाइब्रेरी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में ‘इंडिया कॉर्नर’ स्थापित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है, जिससे लोग भारतीय संस्कृति, कला और दर्शन की गहराई को और करीब से समझ सकेंगे। यह पुस्तक दान कार्यक्रम भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक सेतु को मजबूत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।

 

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