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गोवा फिल्म फेस्टिवल में ब्रिटिश फिल्मकार स्टीफन वूली ने दिए अच्छी मूवी बनाने के मंत्र

ब्रिटिश फिल्म निर्माता और अभिनेता स्टीफन वूली ने अपने साढ़े तीन दशकों से भी अधिक के फिल्मी करियर में उल्लेखनीय कार्य किया है।

स्टीफन वूली ने गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मास्टरक्लास को संबोधित किया। / Image : Ministry of Information & Broadcasting

प्रसिद्ध अंग्रेजी फिल्म निर्माता और अभिनेता स्टीफन वूली ने गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में "फिल्म निर्माता कौन है? - फिल्म निर्माण के पांच महत्वपूर्ण चरण" विषय पर एक मास्टरक्लास को संबोधित किया।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय  के मुताबिक, स्टीफन वूली ने अपने साढ़े तीन दशकों से भी अधिक के फिल्मी करियर में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्हें 2019 में ब्रिटिश सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए बाफ्टा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी द क्राइंग गेम (1992) फिल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया जा चुका है। 

उन्होंने मोना लिसा (1986), लिटिल वॉयस (1998), माइकल कोलिन्स (1996), द एंड ऑफ द अफेयर (1999), इंटरव्यू विद द वैम्पायर (1994) और कैरोल (2016) सहित कई उल्लेखनीय फिल्मों का निर्माण किया है। स्टीफन वूली एलिजाबेथ कार्लसन के साथ मिलकर नंबर 9 फिल्म्स नाम से फिल्म निर्माण कंपनी भी चलाते हैं।

इस सत्र में फिल्म निर्माण के पांच आवश्यक चरण जैसे डेवलपमेंट, प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन, पोस्ट प्रोडक्शन और मार्केटिंग एंड रिलीज पर अहम जानकारियां प्रदान की गईं। इसमें बड़ी संख्या में महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं, छात्रों और सिने प्रेमियों ने हिस्सा लिया और फिल्म निर्माता की बहुमुखी भूमिका के बारे में जानकारी हासिल की। 

स्टीफन ने जोर देकर कहा कि निर्माता की यात्रा किसी अवधारणा या कहानी के प्रति गहरे जुनून से शुरू होती है। निर्माता को सबसे पहले प्रोजेक्ट के प्रति जुनून को महसूस करना चाहिए। जुनून और प्रतिबद्धता जरूरी हैं लेकिन निर्माता को व्यावहारिक होने के साथ-साथ  दृष्टिकोण और व्यावहारिक बाधाओं के बीच संतुलन बनाना भी आना चाहिए।

स्टीफन ने फिल्म के प्री प्रोडक्शन फेज में सहयोग के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि निर्माता मुख्य रूप से सहयोगी होते हैं। एक प्रोजेक्ट को सफल बनाने में फाइनेंसर, क्रिएिटिव प्रोफेशनल्स और अन्य संबंधित हितधारकों की भी अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण के चरण में सावधानीपूर्वक योजना बनाने, उसे क्रियान्वित करने और निर्माता व निर्देशक में संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। 

स्टीफन ने पोस्ट प्रोडक्शन के बारे में विस्तार से बताया और छोटे पैमाने पर टेस्ट स्क्रीनिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दर्शक ही असल में किसी भी फिल्म की किस्मत तय करते हैं। यदि दर्शकों को आपकी फिल्म पसंद आती है तो आपका काम सफल हो जाता है।

स्टीफन ने कहा कि फिल्म निर्माण के अंतिम चरण में मार्केटिंग और रिलीज़ के लिए रणनीतिक योजना बनाने की आवश्यकता होती है। फिल्म की सफल रिलीज़ के लिए विज्ञापन दाताओं, वितरकों अदि के साथ अच्छी मार्केटिंग रणनीति भी होनी चाहिए। 

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