वोटर्स को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ट्रम्प का समर्थन क्यों करना चाहिए? इस सवाल के जवाब में हम राष्ट्रपति ट्रम्प के रेकॉर्ड को देख सकते हैं, खासकर संकट के समय में भारत के साथ उनकी दोस्ती। वह हमेशा हमारे साथ खड़े रहे। 2020 और 2021 में भी, जब चीन ने लादख क्षेत्र में भारत के कुछ इलाके पर कब्जा कर लिया था। ट्रम्प ने चीन से पीछे हटने को कहा। जब भी भारत को मदद की जरूरत पड़ी, वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहे। दूसरी तरफ, हमारे पास कमला हैरिस हैं। कई भारतीय एक भारतीय अमेरिकी को पद पर देखने के लिए उत्साहित हैं।
हालांकि, मैंने कभी कमला हैरिस को भारतीय होने की पहचान करते हुए नहीं देखा। वह खुद को एक अश्वेत अमेरिकी के रूप में पेश करती हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि उन्हें भारतीय अमेरिकी के रूप में पेश करने का क्यों इतना जुनून है। अगर आप मुझसे पूछें कि मैं कौन हूं, तो मैं कहूंगा कि मैं भारतीय मूल का हूं, या भारतीय अमेरिकी हूं, या जो भी टैग भारत से जुड़ा है, वो मैं हूं। लेकिन जहां तक मैंने देखा है, कमला हैरिस ऐसा नहीं करती हैं।
शायद वह फंडरेजिंग के उद्देश्य से भारतीय पहचान का इस्तेमाल करती होंगी, लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि भारतीयों को उनको भारतीय अमेरिकी कहने का इतना जुनून क्यों है। जबकि कमला हैरिस ने कभी खुद को एक भारतीय अमेरिकी के रूप में पेश नहीं किया है। उनका रेकॉर्ड देखें, उनका ड्राइविंग लाइसेंस देखें। जब वह डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, स्टेट अटॉर्नी या अटॉर्नी जनरल के लिए चुनाव लड़ रही थीं तब उनके नौकरी के आवेदनपत्र देखें। उन्होंने हमेशा खुद को एक अश्वेत महिला के रूप में पेश किया है। यह अचानक जुनून बिल्कुल पागलपन है।
इन चुनावों में कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। पहला, सीमा सुरक्षा। हम सभी भारतीय अमेरिकी वीजा और इमिग्रेशन स्टेटस के लिए अपना बारी आने का इंतजार करते हुए यहां कानूनी तौर पर आए हैं। मेरे कई साथियों का 15 साल तक इंतजार करना दर्दनाक है। लाखों लोग विभिन्न वीजा पर 14 से 15 साल से इंतजार कर रहे हैं। इस प्रणाली में कमियां हैं। जो लोग नियमों का पालन करते हैं उनके सामने एक तरफ चुनौतियां हैं। वहीं दूसरे सीमा पार कर जाते हैं और अगले दिन ही हमारे देश में होते हैं। वे मुसीबत झेलते हैं, क्योंकि संसाधन सीमित हैं। अवैध प्रवास का समर्थन करना बेतुका है। मैं प्रवास का समर्थन करता हूं - कानूनी प्रवास का।
प्रवासी बहुत मेहनती होते हैं और वे इस देश को बनाने में मदद करते हैं। लेकिन मैं अवैध प्रवास का बिल्कुल विरोध करता हूं। भारतीय कानूनी तौर पर प्रवासी होने चाहिए। दूसरा मुद्दा अर्थव्यवस्था है। कमला हैरिस ने कैपिटल गेन्स टैक्स बढ़ाने के लिए आवाज उठाई है। भारतीय समुदाय में कई लोग होटल, डंकिन डोनट्स फ्रैंचाइजी, शराब की दुकानें, सुविधा स्टोर और IT कंपनियां जैसे व्यापार में शामिल हैं।
कमला हैरिस 44 प्रतिशत कैपिटल गेन्स टैक्स लगाना चाहती हैं, जो कि असल में उद्यमिता और व्यावसायिक सफलता के लिए एक मौत की सजा है। यूरोप में ऐसा ही हुआ, जहां उन्होंने 40 से 50 प्रतिशत तक टैक्स लगाया। क्या उद्यमी इससे सहमत होंगे? बिल्कुल नहीं। हम अपने व्यापार को टैक्स के बाद के पैसे से बनाते हैं, जोखिम लेते हैं और स्मार्ट फैसले लेते हैं।
जब हम पैसा कमाते हैं, तो उनका हमें आगे टैक्स लगाने का कोई अधिकार नहीं है। इसी कारण रिपब्लिकन ने क्लिंटन युग के दौरान 28 प्रतिशत से कैपिटल गेन्स टैक्स को बाद में 15 प्रतिशत कर दिया था। ट्रम्प इस बात को समझते थे, क्योंकि उन्होंने व्यापार से पैसा कमाया है।
दूसरी तरफ, बाइडेन और उनकी टीम का पूरा जीवन सरकारी वेतन पर काम करते हुए बीता है। वे उद्यमिता को नहीं समझते। वे व्यापार को वेतन के नजरिए से देखते हैं। लेकिन व्यापार, वेतन नहीं है - यह नौकरियां बनाने और दूसरों को वेतन देने के बारे में है।
एक और महत्वपूर्ण मुद्दा होटल उद्योग है। इस उद्योग के लोगों को एक ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो फ्रैंचाइजी कानूनों को समझे। फ्रेंचाइजर और फ्रेंचाइजी के बीच एक बड़ी समस्या है। 1960 के दशक में बने फ्रेंचाइजी कानून आज पुराने पड़ गए हैं। आज, फ्रेंचाइजी फीस 5-7 प्रतिशत से बढ़कर 14-15 प्रतिशत हो गई है और कोई नियंत्रण या संतुलन नहीं है।
मैं राष्ट्रपति से आग्रह करूंगा कि वे कांग्रेस और सीनेट के साथ मिलकर न्यायसंगत फ्रेंचाइजी कानून बनाएं जो फ्रेंचाइजा और फ्रेंचाइजी दोनों को फ़ायदा पहुंचाएं। अभी तो यह प्रणाली एकतरफा है। यह समुदाय को नुकसान पहुंचा रही है। किसी भी होटल मालिक से पूछें, और वे आपको फ्रेंचाइजी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बताएंगे। वे आपकी फ्रेंचाइजी लेते हैं और आपके होटल के बिल्कुल पास ही एक और बना देते हैं, जिससे आपका व्यापार बर्बाद हो जाता है।
यह बहुत से होटल मालिकों के साथ हो रहा है। यहां तक कि भारतीय समुदाय भी एक दूसरे के पास होटल बनाकर इस समस्या में योगदान दे रहा है। अगर हम ऐसा करते रहे तो यह उद्योग ढह जाएगा और कई लोग अपना धन खो बैठेंगे। मैंने अमेरिका में अपने 35 सालों में यह निर्णय लिया है कि मैं कभी भी किसी अन्य भारतीय व्यापार के पास होटल, स्टोर या रेस्टोरेंट नहीं बनाऊंगा। दुर्भाग्य से, ये फ्रेंचाइजी वही रणनीति अपना रही हैं जो अंग्रेजों ने भारत में अपनाई थी - बांटो और राज करो। यह हमारे सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
(लेखक डैनी गायकवाड ओकाला, फ्लोरिडा स्थित एक उद्यमी और समुदाय के नेता हैं।)
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