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अशूक रामसरन की आत्मकथा ‘Beyond Expectations’ न्यूयॉर्क में लॉन्च

यह पुस्तक अशूक रामसरन की जीवन यात्रा को विस्तार से बताती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे उनके परदादा और परदादी 1853 और 1857 में भारत से गिरमिटिया मजदूर के रूप में ब्रिटिश गयाना (अब गुयाना) पहुंचे।

(बाएं से दाएं) अर्नोल्ड, नादिरा, गैविन, कैमिली, आशूक, जेडन और रेचल / Supplied

क्वींस, न्यूयॉर्क में 23 नवंबर 2025 को डगलास्टन मैनर में एक खास समारोह के दौरान भारतीय मूल के प्रमुख प्रवासी नेता अशूक रामसरन की आत्मकथा ‘BEYOND EXPECTATIONS: The Odyssey of a Village Boy from Guyana’ का विमोचन किया गया। यह कार्यक्रम परिवार, दोस्तों, समुदाय के लोगों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में बड़ी उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ। कार्यक्रम का संचालन गुयाना मूल की रोंडा बिंदा ने किया जो क्वींस बरो की पूर्व उपाध्यक्ष रह चुकी हैं।

यह पुस्तक अशूक रामसरन की जीवन यात्रा को विस्तार से बताती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे उनके परदादा और परदादी 1853 और 1857 में भारत से गिरमिटिया मजदूर के रूप में ब्रिटिश गयाना (अब गुयाना) पहुंचे। किताब में भारत से गुयाना और फिर अमेरिका तक की पूरी यात्रा को भावनात्मक अंदाज में लिखा गया है। पुस्तक तीन हिस्सों में बंटी है - गुयाना में बचपन, अमेरिका में नया जीवन और वैश्विक प्रवासी भारतीय समुदाय से जुड़ाव। इसमें पारिवारिक इतिहास, स्मारक, आलेख, सम्मान, संसदीय रिकॉर्ड और कई ऐतिहासिक दस्तावेज भी शामिल हैं। हर हिस्से में तस्वीरें भी जोड़ी गई हैं जो उनके जीवन के अलग-अलग पड़ाव को दिखाती हैं। उन्होंने यह किताब अपने दिवंगत बेटे जेराल्ड की याद में समर्पित की है।

अशूक रामसरन भारतीय प्रवासी परिषद इंटरनेशनल (IDC) के अध्यक्ष हैं और ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन (GOPIO) के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने 2011 में कोलकाता मेमोरियल की स्थापना की, जो उन भारतीयों की याद में बनाया गया था, जो 1834 से 1917 के बीच गिरमिटिया मजदूर बनकर दुनिया के कई देशों में गए थे। उन्होंने न्यूयॉर्क में सड़कों के नामकरण के माध्यम से विशिष्ट प्रवासी भारतीयों को सम्मान देने की पहल भी की।

इस पुस्तक की प्रस्तावना ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जाने-माने प्रोफेसर डेविड डैबीडीन ने लिखी है। पुस्तक के पीछे के कवर पर गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड रामोतार, न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स, दक्षिण अफ्रीका की एला गांधी, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स के महासचिव अल्बर्ट रामदिन सहित कई प्रमुख हस्तियों के विचार छपे हैं।

कार्यक्रम में आए मेहमानों को पुस्तक की हस्ताक्षरित प्रतियां भेंट की गईं। कई लोगों ने पुस्तक के ऐतिहासिक महत्व और इसकी प्रेरणादायक कहानी की प्रशंसा की। पुस्तक के कुछ अंश विभिन्न लोगों द्वारा पढ़कर सुनाए गए जिनमें प्रोफेसर डेविड डैबीडीन के संदेश को सिल्विया रामगडू- मरिमुथू ने पढ़ा। प्रोफेसर मरीना बुढोस, उनके पोते जेडन और गैविन रामसरन ने भी हिस्से पढ़े।

कार्यक्रम में अमेरिकी कांग्रेस सदस्य ग्रेस मेंग मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने रामसरन के सामुदायिक योगदान की सराहना की और बताया कि जून 2025 में उनके जीवन की उपलब्धियों को अमेरिकी कांग्रेस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। न्यूयॉर्क की सीनेटर रॉक्सैन पर्सौड ने भी उनके सामाजिक कार्यों की तारीफ की और उन्हें सम्मानपत्र दिया।

मीडिया समूह के चेयरमैन डॉ. सुधीर पारिख ने रामसरन के योगदान की सराहना की और उनके इंटरव्यू की घोषणा की। गुयाना के कौंसुल जनरल माइकल ब्रदरसन की ओर से भेजा गया शुभकामना संदेश पढ़ा गया। क्वींस डिस्ट्रिक्ट लीडर रिचर्ड डेविड ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक बेहद सफल होगी।

समापन में अशूक रामसरन ने कहा कि यह किताब सिर्फ उनकी यात्रा नहीं, बल्कि उद्देश्य, परिवार और यादों को संजोने का प्रयास है और अगर यह किसी को जीवन में उद्देश्य खोजने में मदद करे तो उनकी मेहनत सफल होगी। समारोह के अंत में ‘Beyond Expectations’ नाम वाले केक को साझा किया गया और रचेल रामसरन ने सभी को धन्यवाद दिया। यह पुस्तक न सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी है, बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय की संघर्ष, समर्पण और पहचान की जड़ें भी दिखाती है।

क्वींस, न्यूयॉर्क में 23 नवंबर 2025 को डगलास्टन मैनर में एक खास समारोह के दौरान भारतीय मूल के प्रमुख प्रवासी नेता अशूक रामसरन की आत्मकथा ‘BEYOND EXPECTATIONS: The Odyssey of a Village Boy from Guyana’ का विमोचन किया गया। यह कार्यक्रम परिवार, दोस्तों, समुदाय के लोगों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में बड़ी उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ। कार्यक्रम का संचालन गुयाना मूल की रोंडा बिंदा ने किया जो क्वींस बरो की पूर्व उपाध्यक्ष रह चुकी हैं।

यह पुस्तक अशूक रामसरन की जीवन यात्रा को विस्तार से बताती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे उनके परदादा और परदादी 1853 और 1857 में भारत से गिरमिटिया मजदूर के रूप में ब्रिटिश गयाना (अब गुयाना) पहुंचे। किताब में भारत से गुयाना और फिर अमेरिका तक की पूरी यात्रा को भावनात्मक अंदाज में लिखा गया है। पुस्तक तीन हिस्सों में बंटी है - गुयाना में बचपन, अमेरिका में नया जीवन और वैश्विक प्रवासी भारतीय समुदाय से जुड़ाव। इसमें पारिवारिक इतिहास, स्मारक, आलेख, सम्मान, संसदीय रिकॉर्ड और कई ऐतिहासिक दस्तावेज भी शामिल हैं। हर हिस्से में तस्वीरें भी जोड़ी गई हैं जो उनके जीवन के अलग-अलग पड़ाव को दिखाती हैं। उन्होंने यह किताब अपने दिवंगत बेटे जेराल्ड की याद में समर्पित की है।

अशूक रामसरन भारतीय प्रवासी परिषद इंटरनेशनल (IDC) के अध्यक्ष हैं और ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन (GOPIO) के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने 2011 में कोलकाता मेमोरियल की स्थापना की, जो उन भारतीयों की याद में बनाया गया था, जो 1834 से 1917 के बीच गिरमिटिया मजदूर बनकर दुनिया के कई देशों में गए थे। उन्होंने न्यूयॉर्क में सड़कों के नामकरण के माध्यम से विशिष्ट प्रवासी भारतीयों को सम्मान देने की पहल भी की।

Book cover: BEYOND EXPECTATIONS / Supplied

इस पुस्तक की प्रस्तावना ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जाने-माने प्रोफेसर डेविड डैबीडीन ने लिखी है। पुस्तक के पीछे के कवर पर गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड रामोतार, न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स, दक्षिण अफ्रीका की एला गांधी, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स के महासचिव अल्बर्ट रामदिन सहित कई प्रमुख हस्तियों के विचार छपे हैं।

कार्यक्रम में आए मेहमानों को पुस्तक की हस्ताक्षरित प्रतियां भेंट की गईं। कई लोगों ने पुस्तक के ऐतिहासिक महत्व और इसकी प्रेरणादायक कहानी की प्रशंसा की। पुस्तक के कुछ अंश विभिन्न लोगों द्वारा पढ़कर सुनाए गए जिनमें प्रोफेसर डेविड डैबीडीन के संदेश को सिल्विया रामगडू- मरिमुथू ने पढ़ा। प्रोफेसर मरीना बुढोस, उनके पोते जेडन और गैविन रामसरन ने भी हिस्से पढ़े।

कार्यक्रम में अमेरिकी कांग्रेस सदस्य ग्रेस मेंग मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने रामसरन के सामुदायिक योगदान की सराहना की और बताया कि जून 2025 में उनके जीवन की उपलब्धियों को अमेरिकी कांग्रेस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। न्यूयॉर्क की सीनेटर रॉक्सैन पर्सौड ने भी उनके सामाजिक कार्यों की तारीफ की और उन्हें सम्मानपत्र दिया।

मीडिया समूह के चेयरमैन डॉ. सुधीर पारिख ने रामसरन के योगदान की सराहना की और उनके इंटरव्यू की घोषणा की। गुयाना के कौंसुल जनरल माइकल ब्रदरसन की ओर से भेजा गया शुभकामना संदेश पढ़ा गया। क्वींस डिस्ट्रिक्ट लीडर रिचर्ड डेविड ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक बेहद सफल होगी।

समापन में अशूक रामसरन ने कहा कि यह किताब सिर्फ उनकी यात्रा नहीं, बल्कि उद्देश्य, परिवार और यादों को संजोने का प्रयास है और अगर यह किसी को जीवन में उद्देश्य खोजने में मदद करे तो उनकी मेहनत सफल होगी। समारोह के अंत में ‘Beyond Expectations’ नाम वाले केक को साझा किया गया और रचेल रामसरन ने सभी को धन्यवाद दिया। यह पुस्तक न सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी है, बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय की संघर्ष, समर्पण और पहचान की जड़ें भी दिखाती है।

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