अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों के लिए अपनी संस्कृति और पहचान को संभालना अब और मुश्किल होता जा रहा है। हाल ही में पीटर नवारो ने कहा कि भारत में ब्राह्मण लोग तेल के व्यापार से मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं, 2021 में Dismantling Global Hindutva (DGH) कॉन्फ्रेंस ने भी ब्राह्मणों को हिंदू धर्म का उच्च वर्ग बताकर आलोचना की।
विशेषज्ञ कहते हैं कि चाहे यह दाएं पंथ का हमला हो या लेफ्ट की आलोचना, असल मकसद हिंदू धर्म और भारत की एकता को कमजोर करना है। नवारो ने भारत को रूस-यूक्रेन संकट में तटस्थ रहने पर क्रेमलिन लांड्रोमैट कहा, जबकि भारत के तेल आयात ने वैश्विक बाजार को स्थिर किया। ब्राह्मण केवल 4-5 प्रतिशत आबादी हैं और उनके अधिकतर घरों की आमदनी कम है।
DGH और कुछ अकादमिक विद्वानों ने ब्राह्मणों को “वैश्विक उत्पीड़क” बताया और हिंदू धर्म को जातिवाद से जोड़ दिया। इस तरह की बातें पुराने ब्रिटिश और मिशनरियों के दृष्टिकोण जैसी हैं, जब ब्राह्मणों को धर्म का रोड़ा बताया जाता था।
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