सीमाओं को पार करता हुआ योग आज एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। यह लोगों को कल्याण और शांति की खोज में एकजुट करता है। / @PIB
डॉ. एच.आर. नागेंद्र : सीमाओं को पार करता हुआ योग आज एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। यह लोगों को कल्याण और शांति की खोज में एकजुट करता है। इस परिवर्तन के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिनकी अटूट प्रतिबद्धता ने योग को विश्व मंच पर ला दिया है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी पहल और अपनी निरंतर वकालत के माध्यम से मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि यह प्राचीन भारतीय अभ्यास दुनिया भर में स्वीकार किया जाए। सिर्फ व्यायाम के रूप में नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के रूप में। उनके नेतृत्व ने भारत को कल्याण की किरण बनाया है। मानवता को स्वस्थ करने और एकजुट करने की योग की शक्ति का संदेश फैलाया है।
मोदी का 'वसुधैव कुटुम्बकम्' - दुनिया एक परिवार है - पर जोर भारत के सनातन योग दर्शन को प्रतिबिंबित करता है। यह प्राचीन अभ्यास एकता, करुणा और सामंजस्य को बढ़ावा देता है, जो आज के विभाजित दुनिया में अत्यंत जरूरी है। एक शतक से ज्यादा समय पहले भारतीय दर्शन के एक वैश्विक प्रतीक के रूप में स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम के सामने ये आदर्श पेश किए थे। आज, प्रधानमंत्री मोदी इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। योग को वैश्विक शांति और कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बना रहे हैं।
मोदी के मिशन में सबसे महत्वपूर्ण मील के पत्थरों में से एक 2015 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना है। 21 जून को सालाना रूप से मनाया जाने वाला यह दिवस जीवन के सभी क्षेत्रों के लाखों लोगों को एक साथ आकर योग का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करता है। यह सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं से परे है। पिछले साल अकेले आयुष मंत्रालय ने उस दिन 250 मिलियन भारतीयों को योग करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। यह लक्ष्य जो न केवल पूरा हुआ बल्कि इसे पार भी किया गया। यह उपलब्धि योग के लाभों की बढ़ती मान्यता और इसे बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्व की व्यापक स्वीकृति को रेखांकित करती है।
हालांकि, मोदी का योग का दृष्टिकोण केवल एक दिन के अभ्यास से बहुत आगे है। उनका मानना है कि योग का रोजाना अभ्यास होना चाहिए। यह व्यक्तियों को साधारण मानव से अनुकरणीय नागरिकों में परिवर्तित करता है। उनके दृष्टिकोण में योग मानवता के लिए प्यार पैदा करता है। भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही शांति और सामंजस्य से एकजुट दुनिया के आदर्श को बढ़ावा देता है।
S-VYASA (स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान) विश्वविद्यालय में हम इस दृष्टिकोण को साझा करते हैं। हम शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में योग कार्यक्रम पेश करके इन आदर्शों को व्यवहार में बदलने के लिए समर्पित हैं। शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोध पत्रों के माध्यम से हम योग के लाभों के लिए प्रमाण-आधारित नींव प्रदान करते हैं। योग की वैश्विक समझ में हमारे योगदान को प्रधानमंत्री मोदी ने नजरअंदाज नहीं किया है। पीएम मोदी योग को अपने समग्र रूप में बढ़ावा देने के एक अटल समर्थक रहे हैं।
हमारा हाल ही में डलास का दौरा SVYASA के वैश्विक मिशन को विस्तारित करने में एक बड़ा कदम था। सतीश गुप्ता, चैट गणेश और सत्यन जैसे व्यक्तियों के प्रयासों के कारण VYASA USA ने महत्वपूर्ण गति हासिल की है। इस यात्रा के दौरान हमने पार्कर यूनिवर्सिटी के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए। यह कायरोप्रैक्टिक (chiropractic) देखभाल में अपनी उत्कृष्टता के लिए जाने जाने वाला एक प्रमुख संस्थान है। इस साझेदारी का लक्ष्य अमेरिका में योग प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर और यहां तक कि पीएचडी कार्यक्रम लाना है। इससे शिक्षा का एक नया आयाम पेश होता है जो योग के समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को कायरोप्रैक्टिक उपचार के साथ जोड़ता है। यह पहल गैर-संचारी रोगों (NCDs) से जुड़ी आधुनिक स्वास्थ्य चुनौतियों को संबोधित करने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि कायरोप्रैक्टिक देखभाल और योग चिकित्सा का मिलन अमेरिका में स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लाएगा।
डलास में सफलता के बाद हमारा अगला ध्यान न्यू यॉर्क है, जहां हम पार्कर यूनिवर्सिटी के साथ प्राप्त उपलब्धियों को दुहराने का लक्ष्य रखते हैं। प्रसिद्ध मानवतावादी और भारतीय संस्कृति के वैश्विक राजदूत, प्रेम भंडारी के नेतृत्व में हम न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के साथ सहयोग कर रहे हैं। मकसद ये है कि योग को उच्च शिक्षा और स्कूल कार्यक्रमों दोनों में एकीकृत किया जा सके। हमारा लक्ष्य सिर्फ शारीरिक फिटनेस नहीं, बल्कि कुल व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, हम ह्यूस्टन में MD एंडरसन कैंसर सेंटर (MDACC) के साथ अपने सहयोग में पहले से ही सफल साबित हो चुके समग्र स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण प्रदान करते हुए, आयुर्वेदिक दवा के साथ योग चिकित्सा को पूरक उपचार के रूप में पेश करने की योजना बना रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवा में योग का बढ़ता प्रभाव मोदी के दृष्टिकोण का एक और प्रमाण है। योग को चिकित्सा देखभाल में एकीकृत करने को बढ़ावा देकर हम NCDs जैसी मुख्य स्वास्थ्य चुनौतियों को संबोधित कर रहे हैं, जो दुनिया भर में बीमारी के एक महत्वपूर्ण बोझ के लिए जिम्मेदार हैं। MDACC जैसे संस्थानों के साथ हमारा चल रहा सहयोग कैंसर रोगियों के इलाज में योग चिकित्सा की असीम क्षमता को प्रदर्शित करता है। हम न्यू यॉर्क और इससे आगे ऐसे सहयोगों का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं। हमारा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि योग के चिकित्सीय लाभ सभी के लिए सुलभ हों।
यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व योग को वैश्विक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण रहा है। उनके अथक प्रयासों ने भारत को इस प्राचीन अभ्यास के माध्यम से कल्याण और शांति को बढ़ावा देने में नेता के रूप में स्थापित किया है। योग को अब सिर्फ एक भारतीय परंपरा के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि एक वैश्विक घटना के रूप में जिसमें मानवता को एकजुट करने की क्षमता है। मोदी के मार्गदर्शन में योग भारत की सॉफ्ट पावर का प्रतीक बनने के साथ ही यह कूटनीति का एक साधन और वैश्विक सामंजस्य को बढ़ावा देने का एक माध्यम बन गया है।
SVYASA के कार्यक्रमों का अमेरिका में विस्तार इस व्यापक दृष्टिकोण का प्रमाण है। हमें विश्वास है कि पार्कर यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के साथ हमारा सहयोग न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में योग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी गहरा करेगा। यह साझेदारी 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को दर्शाती है। दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देते हुए राष्ट्रों के बीच के बंधन को मजबूत करती है।
निष्कर्ष में, योग का वैश्विक उदय आधुनिक चुनौतियों का समाधान करने में प्राचीन ज्ञान की शक्ति का प्रमाण है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह प्राचीन अभ्यास दुनिया भर के लोगों को जोड़ने वाला एक पुल बन गया है। यह एकता, शांति और कल्याण को बढ़ावा देता है। जैसे-जैसे हम SVYASA में अपने मिशन का विस्तार करते हैं, हम इस वैश्विक आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विश्वास है कि सामूहिक प्रयासों के साथ एक स्वस्थ और अधिक शांतिपूर्ण दुनिया का दृष्टिकोण पहले से कभी ज्यादा वास्तविकता के करीब है।
(लेखक डॉ. एच.आर. नागेंद्र S-VYASA (स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान) विश्वविद्यालय, बेंगलुरु, भारत के कुलपति हैं।)
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