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ट्रम्प विरोधी ‘नो किंग्स’ रैलियों को भारतीय-अमेरिकी सांसदों का समर्थन

ये रैलियां राष्ट्रपति के कार्यकारी अधिकारों का दुरुपयोग और खुद को कानून से ऊपर रखने के प्रयासों के खिलाफ आयोजित की गई थीं।

ट्रम्प की नीतियों के विरोध में भारतीय-अमेरिकी सांसद / india us mp

अमेरिका के 50 राज्यों में आयोजित ‘नो किंग्स’ रैलियों में कई भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने भाग लिया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कथित अधिनायकवादी रुख के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। ये रैलियां राष्ट्रपति के कार्यकारी अधिकारों का दुरुपयोग और खुद को कानून से ऊपर रखने के प्रयासों के खिलाफ आयोजित की गई थीं।

प्रतिनिधि रो खन्ना (CA-17) ने अपने वीडियो संदेश में अपने परिवार की औपनिवेशिक विरोधी विरासत का हवाला देते हुए कहा, मेरे दादा गांधी के साथ ब्रिटिश राजा के खिलाफ चार साल जेल में रहे। आज, उनके पोते के रूप में, मैं सुनिश्चित करूंगा कि डोनाल्ड ट्रंप राजा न बनें। खन्ना ने कहा कि वह सेंटर बर्नी सैंडर्स और लाखों लोगों के साथ खड़े हैं ताकि ट्रंप को “राजा बनने से रोका जा सके और डेमोक्रेट्स से अपील की कि वे ट्रंप विरोधी आंदोलन के साथ व्यापक आर्थिक दृष्टि भी साझा करें।

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प्रतिनिधि प्रामिला जयापल (WA-7) ने कहा, अमेरिका में हमारे पास कोई राजा नहीं है। जो कुछ हम देख रहे हैं—मताधिकार को कम करना, निर्वाचन क्षेत्रों को फेरबदल करना, रिपब्लिकन राज्यों में गवर्नर के फैसले—सबका मकसद सत्ता को एक राजा के हाथ में देना है। लेकिन अमेरिका में कोई राजा नहीं है।

प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति (IL-8) ने रैलियों को ट्रंप के अधिकारों के दुरुपयोग के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करार दिया और इल्लिनॉय के लोगों को स्थानीय ‘नो किंग्स’ रैलियों में शामिल होने का आह्वान किया। प्रतिनिधि श्री थानेदार (MI-13) ने भी समर्थन व्यक्त किया और कहा कि वह वायंडोट, टेलर और डेट्रॉइट में रैलियों में शामिल होंगे।

देशव्यापी आंदोलन #NoKings के तहत आयोजित किया गया, जिसमें इंडिविज़िबल, ACLU, और 50501 मूवमेंट जैसी संस्थाओं ने भाग लिया। रैलियों में हजारों प्रदर्शनकारियों ने पीली शर्ट पहनी और प्लेकार्ड्स पर लिखा We have no kings लेकर अपनी राय जताई।

आयोजकों ने इसे लोकतंत्र के लिए शांतिपूर्ण खड़ा होना बताया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने मताधिकार अधिकारों, सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती, प्रशासन की डिपोर्टेशन नीतियों, और लगातार तीसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुके सरकारी शटडाउन जैसे मुद्दों को प्रमुख रूप से उठाया।

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