गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः
विश्व के निर्माण में अगर माता के बाद किसी का स्थान आता है तो वह एक शिक्षक का होगा। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैंने सोचा क्यों न अमेरिका के शिक्षकों की बात की जाए...
भारत में 5 सितंबर शिक्षक दिवस को समर्पित है। वहीं विश्व भर में यह दिवस अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है। जैसे अमेरिका में मई महीने के पहले मंगलावर से शुरू होकर यह पूरे सप्ताह मनाया जाता है। ऐसा नहीं है की इस दौरान पढ़ाई नहीं होगी या स्कूल बंद रहेगा।
स्कूल की पढ़ाई रुटीन के अनुसार ही होगी, बस बच्चों को टीचर को धन्यवाद कहना होता है। इनमें से किसी दिन कोई एक क्लास में कार्ड बना लिया तो दूसरे किसी दिन कोई क्राफ्ट। बच्चे चाहें तो घर से कोई गिफ्ट भी ले जा सकतें है टीचर्स के लिए। पर यह जरूरी नहीं। ज्यादातर बच्चे कार्ड ही बनाते हैं और उसे पाकर शिक्षक खुशी से फूले नहीं समाते।
यहां और भारत के शिक्षकों को देखती हूं तो यह अंतर पाती हूं की यहां शिक्षक सिर्फ पढ़ाई और बच्चों पर ध्यान देते हैं। उनके जिम्मे बाकी के सरकारी कार्य या ट्रेनिंग वगैरह का बोझ नहीं होता। अगर किसी शिक्षक को स्पेसिफिक कोई ट्रेनिंग भी लेनी होगी तो वह छुट्टी लेगा या फिर स्कूल के बाद जा सकता है पर बच्चों की पढ़ाई डिस्ट्रब नहीं होगी। इन 12 सालों में मैंने कभी न देखा या सुना की शिक्षकों की स्ट्राइक की वजह से बच्चों की पढ़ाई रुक गई।
अमेरिका की जलवायु ऐसी है कि कई हिस्सों में तूफान, बाढ़ या हीट वेव की वार्निंग आती रहती है। ऐसे में अगर स्कूल बंद होता है तो पढ़ाई पूरी करने के लिए किसी छुट्टी वाले दिन स्कूल खुला रहेगा।
यहां सब्स्टीट्यूट टीचर भी होते हैं। ये शिक्षक क्लास में किसी शिक्षक की अनुपस्थि को पूरा करते हैं। मसलन किसी शिक्षक ने अचानक छुट्टी ले ली ऐसे में सब्स्टीट्यूट टीचर उसकी जगह पर आ कर पढ़ाएंगे। ये शिक्षक परमानेंट नहीं होते। इन्हें जरूरत के हिसाब से बुलाया जाता है।
अंत में यहां शिक्षक और शिक्षा अमीर-गरीब में फर्क नहीं करती।
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