भारतीय अमेरिकी बायोकेमिस्ट और कैंसर शोधकर्ता अनिंद्य दत्ता को अमेरिकन सोसाइटी फॉर इन्वेस्टिगेटिव पैथोलॉजी (ASIP) की तरफ से इस साल के राउस-व्हिपल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान अनुसंधान, शिक्षण, परामर्श और नेतृत्व के माध्यम से पैथोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिकों को मान्यता प्रदान करता है।
प्रख्यात पैथोलॉजिस्ट फ्रांसिस पेटन राउस और जॉर्ज व्हिपल के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है। बर्मिंघम में अलबामा विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित प्रोफेसर और आनुवंशिकी विभाग के चेयरमैन दत्ता के नाम कई अभूतपूर्व खोज दर्ज हैं।
उनका शोध कैंसर कोशिकाओं में जीनोमिक अस्थिरता और कैंसर में नॉनकोडिंग आरएनए की भूमिका पर केंद्रित है। उन्होंने सामान्य और कैंसर कोशिकाओं में एक्स्ट्रा क्रोमोसोमल डीएनए सर्कल की खोज की है जिन्हें कैंसर का ब्लड बायोमार्कर माना जाता है।
दत्ता को नामित करने वाले क्रिस्टोफर मोस्कालुक ने उनके प्रभावशाली योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि दत्ता मॉलिक्यूलर बायोलोजी के दो अलग-अलग क्षेत्रों के लीड इन्वेस्टिगेटर हैं। उन्होंने कई बेहतरीन खोजें की हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की है।
अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस के फेलो दत्ता को जीनोम अस्थिरता पर कार्य के लिए रैनबैक्सी पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने भारत के वेल्लोर स्थित मेडिकल क्रिश्चियन कॉलेज से एमएमबीएस किया है। उसके बाद न्यूयॉर्क की रॉकफेलर यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है।
वह न्यूयॉर्क की कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्चर और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल में रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी हैं।
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