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मीनाक्षी नरूला अहमद की नई किताब इंडियन जीनियस: द मेटियोरिक राइज ऑफ इंडियंस इन अमेरिका। / photo Credit- Harpercollins
फ्रीलांस जर्नलिस्ट और प्रशंसित लेखिका मीनाक्षी नरूला अहमद एक बार फिर से अपनी नई किताब इंडियन जीनियस: द मेटियोरिक राइज ऑफ इंडियंस इन अमेरिका के साथ सुर्खियों में हैं।
अहमद की नई किताब में सत्या नडेला, चंद्रिका टंडन, सिद्धार्थ मुखर्जी और फरीद जकारिया जैसे तमाम प्रभावशाली भारतीय अमेरिकियों की प्रोफाइल का संकलन है। न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक इंटरव्यू में अहमद ने बताया कि उन्होंने अपनी किताब के लिए इन्हीं लोगों को क्यों चुना।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी समाज में भारतीय मूल के लोग काफी प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। अमेरिकी आबादी में इनकी संख्या बेशक कम हैं, लेकिन इनका योगदान काफी अधिक है। उन्होंने बताया कि इस किताब को लिखने के दौरान उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
अहमद ने इससे पहले भारत और अमेरिका के संबंधों पर ए मैटर ऑफ ट्रस्ट: इंडिया-यूएस रिलेशंस फ्रॉम ट्रूमैन टू ट्रम्प किताब लिखी थी। अब उन्होंने भारतीय अमेरिकियों की उपलब्धियों पर फोकस किया है।
इंडियन जीनियस किताब लिखने का आइडिया कैसे आया? इस सवाल पर अहमद ने बताया कि परमाणु डील के दौरान मैंने भारत-अमेरिका संबंधों पर भारतीय प्रवासियों के प्रभाव का अध्ययन शुरू किया था। 2000 तक अमेरिका में भारतीयों ने आर्थिक सुरक्षा और राजनीतिक दमखम हासिल कर लिया था। उन्होंने कांग्रेस में परमाणु डील को आगे बढ़ाने में भी योगदान दिया। इसी ने भारतीय प्रवासियों के बारे में गहराई से जाने को प्रेरित किया।
अहमद ने बताया कि उन्होंने अपना ध्यान तीन क्षेत्रों तक सीमित किया- टेक्नोलोजी, मेडिसिन और पब्लिक पॉलिसी। उनका कहना था कि सिलिकॉन वैली में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। लगभग 15 प्रतिशत स्टार्टअप का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब जैसी कई बड़ी टेक कंपनियों की कमान भारतीय सीईओ के हाथों में है।
मेडिसिन सेक्टर में भी जहां भारतीय अमेरिकियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। अब्राहम वर्गीज, अतुल गवांडे और सिद्धार्थ मुखर्जी जैसे दिग्गजों का जिक्र करते हुए अहमद ने कहा कि भारतीय डॉक्टर न सिर्फ मेडिकल फील्ड में नाम कमा रहे हैं बल्कि लेखन के जरिए अपने विचारों को लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य के बारे में अहमद को काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु समझौते ने वर्षों के अविश्वास को खत्म कर दिया। उसी के बाद से संबंधों का ग्राफ ऊपर की ओर जा रहा है। चाहे रिपब्लिकन पार्टी की सरकार हो या डेमोक्रेटिक, दोनों देशों के संबंध लगातार मजबूत हुए है।
अहमद ने कहा कि अमेरिका की विदेश नीति में भारत का विशेष रणनीतिक महत्व है, खासकर चीन के संदर्भ में। उनका कहना था कि भारत को अमेरिका की एशिया नीति की आधारशिला के रूप में देखा जाता है। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध काफी तेजी से बढ़े हैं। ये दिखाता है कि दोनों आपसी संबंधों को कितना महत्व देते हैं।
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