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भारतवंशी प्रोफेसर ने सर्जिकल ट्रेनिंग के लिए विकसित किया क्रांतिकारी एआई टूल

प्रो डे ने भारत के जादवपुर विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद 1995 में भारतीय विज्ञान संस्थान से मास्टर्स और 2001 में एमआईटी से डॉक्टरेट किया है।

भारतीय मूल के प्रो. सुवरनु डे फ्लोरिडा एग्रीकल्चरल एंड मेडिकल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के डीन हैं। / Image – FSU

फ्लोरिडा एग्रीकल्चरल एंड मेडिकल यूनिवर्सिटी (FAMU-FSU) के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने सर्जिकल ट्रेनिंग का एक क्रांतिकारी एआई टूल विकसित किया है। शोधकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व कॉलेज के भारतीय मूल के डीन सुवरनु डे ने किया है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य एआई संचालित वीडियो असेसमेंट टूल के जरिए सर्जन डॉक्टरों के कौशल को बढ़ाना है।

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित मेडिकल जर्नल जामा सर्जरी में हाल ही में प्रकाशित इस शोध के बारे में कहा जा रहा है कि यह सर्जिकल एजुकेशन और मरीजों पर इसके असर में काफी सुधार कर सकता है। प्रो सुवरनु डे की अगुआई में तैयार यह टूल अत्याधुनिक गहन शिक्षण मॉडल के जरिए सर्जिकल कौशल का मूल्यांकन करता है।

इसके बारे में प्रो डे ने कहा कि सर्जनों को जितनी अधिक ट्रेनिंग मिलेगी, उनके कौशल में उतना ही सुधार होगा। हमने एक अत्याधुनिक वीडियो आधारित मूल्यांकन नेटवर्क तैयार किया है जो सर्जिकल कौशल के मूल्यांकन को प्रभावी ढंग से स्वचालित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वीबीए-नेट सर्जिकल प्रक्रियाओं के लंबे वीडियो का विश्लेषण करता है और एक्सपर्ट और नौसिखिए प्रदर्शन के बीच अंतर करता है। यह प्रशिक्षुओं को रियल टाइम फीडबैक और फाइनल स्कोर प्रदान करता है और इस तरह सर्जिकल कौशल मूल्यांकन के पारंपरिक तरीके को ऑटोमैटिक बनाता है।

प्रो डे ने कहा कि इस सिस्टम में एक्सप्लेनेबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (XAI) भी शामिल है, जिससे AI के निर्णय लेने की प्रक्रिया यूजर्स के लिए और भी ज्यादा पारदर्शी व भरोसेमंद हो जाती है।

डे का यह प्रोजेक्ट अमेरिकन बोर्ड ऑफ सर्जरी की सर्जिकल ट्रेनिंग में वीडियो आधारित आकलन को शामिल करने की पहल से मेल खाता है। इसकी 2021 में प्रयोग के तौर पर शुरुआत हुई थी। 

प्रो डे एफएएमयू एफएसयू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता एरीम यानिक और बफेलो विश्वविद्यालय में जैकब स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज में सर्जरी के प्रेसिडेंट स्टीवन श्वाइट्जबर्ग के साथ भी काम कर चुके हैं। 

उन्होंने 1993 में भारत के जादवपुर विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद 1995 में भारतीय विज्ञान संस्थान से मास्टर्स और 2001 में एमआईटी से डॉक्टरेट किया है। वह पांच अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और कई वैज्ञानिक समितियों के संपादकीय बोर्डों में भी शामिल हैं।

उन्हें ओएनआर यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड (2005), जेम्स एम. टीएन '66 अर्ली करियर अवार्ड फॉर फैकल्टी (2009) और एएसएमई से एडविन एफ चर्च मेडल भी मिल चुके हैं।
 

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