छह महीने से सरहद पर रहने वाले लोगों की जिंदगी लगातार संघर्ष से भरी हुई है। कभी जंग का डर, तो कभी बाढ़ का कहर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। जर्जर घरों और अस्थायी शरण स्थलों के बीच भटकना उनकी मजबूरी है।
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इतना ही नहीं, इस बार हालात इतने खराब हुए कि ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब तक बाढ़ के पानी में डूब गया। जिस गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए सिखों ने दशकों संघर्ष किया था, वह भी कुछ दिनों तक डूबा रहा।
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