भारत और अमेरिका दोनों देशों की सेनाएं एक संयुक्त मोर्चे पर अपने की शक्ति का प्रदर्शन करने जा रही हैं। इसमें मानव रहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल, इनसे निपटने के तरीके और आधुनिक तकनीकी के साथ युद्ध का अभ्यास किया जाएगा। यह युद्ध अभ्यास 1 से शुरू हो चुका है, जो 14 सितम्बर तक चलेगा।
युद्ध अभ्यास 2025 में अमेरिकी सेना की ओर से आर्टिक वुल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन के फर्स्ट बटालियन, 5वीं वीं इन्फैंट्री रेजीमेंट "बॉबकैट्स" के जवान और ऑफीसर्स शामिल होंगे। भारत के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय सेना की टुकड़ी अमेरिका के अलास्का स्थित फोर्ट वेनराइट पहले ही पहुंच चुकी है। इस अभ्यास में शामिल भारतीय सैन्य दल में मद्रास रेजीमेंट की एक बटालियन से चयनित सैनिकों को रखा गया है।
अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमान द्वारा प्रायोजित, युद्ध अभ्यास 25 में युद्ध अभ्यास 2025 में अमेरिकी सेना की ओर से आर्टिक वुल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन के फर्स्ट बटालियन और इन्फैंट्री रेजीमेंट "बॉबकैट्स" के जवान व ऑफीसर्स शामिल हैं। जिनमें मुख्य रूप से पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट "बॉबकैट्स", पहली इन्फैंट्री ब्रिगेड कॉम्बैट टीम (आर्कटिक) और 65वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड की एक समतुल्य भारतीय सेना टुकड़ी शामिल है।
युद्ध अभ्यास को लेकर 11वें एयरबोर्न डिवीजन की पहली इन्फैंट्री ब्रिगेड कॉम्बैट टीम (आर्कटिक) के कमांडर कर्नल क्रिस्टोफर ब्रॉली ने एक बायन में कहा, "हम साथ मिलकर शांति स्थापना, मानवीय प्रतिक्रिया और युद्ध अभियानों के लिए अपने कौशल को निखारने के लिए काम कर रहे हैं। हम जानते हैं कि भविष्य में ऐसी चुनौतियां हैं, जिनसे निपटने के लिए सीमा पार से सहयोग आवश्यकता होगी। ऐसे में जब सैनिक कंधे से कंधा मिलाकर प्रशिक्षण लेते हैं, तो हम दुनिया को दिखाते हैं कि हमारी साझेदारी मजबूत, स्थायी होने के साथ किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।"
ये होंगे प्रमुख अभ्यास
हेलीबोर्न ऑपरेशन, मानव रहित हवाई प्रणालियों का प्रयोग,रॉक क्राफ्ट और पर्वतीय युद्ध कौशल व कैजुअल्टी इवैक्यूएशन के अलावा युद्धक्षेत्र चिकित्सा सहायता का भी अभ्यास भी किया जाएगा। इस अभ्यास में तोपखाना, विमानन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का एकीकृत प्रयोग भी इस युद्धाभ्यास में शामिल किया गया है। इसके अलावा, दोनों सेनाओं के विशेषज्ञ अधिकारी संयुक्त कार्य समूहों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे। जिसमें मानव रहित हवाई प्रणालियों और काउंटर-मानव रहित हवाई प्रणालियों के ऑपरेशन, सूचना युद्ध, संचार प्रणाली और रसद प्रबंधन पर चर्चा शामिल है।
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