अमेरिका की ओर से टैरिफ वृद्धि के साथ ही कई देश अब अमेरिका को छोड़ व्यापार के लिए अन्य विकल्पों की तलाश में जुट गए हैं। हालांकि भारत ने नई यूएस टैरिफ दरें लूागू होने से पहले एक व्यापार के लिए QUAD समूह के देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया है। नई दिल्ली ने इसको लेकर बयान पीएम मोदी के जापान यात्रा से पहले जारी किया। जिसमें कहा गया कि भारत और जापान के नेता क्वाड समूह के ढांचे के तहत महत्वपूर्ण खनिजों जैसे मुद्दों पर अपने सहयोग को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। इससे ठीक पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "भारत क्वाड समूह को बहुत महत्व देता है। इस ग्रुप को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है, भले ही उसके अपने साथी सदस्य अमेरिका के साथ संबंध तनावपूर्ण हों।"
यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा से पहले भारत के व्यापार समेत कई क्षेत्रों में क्वाड देशों के साथ मजबूत सहयोग को दर्शाता है।
इस बीच यूएस की नई टैरिफ दरें भारत पर प्रभावी हो रही हैं। यह फैसला रूसी तेल आयात को लेकर कई बार यूएस की भारत को कई बार कथित धमकियों के बाद लिया गया। माना जा रहा है ट्रम्प के इस कदम से दोनों देशों के बीच दशकों की कूटनीतिक प्रगति पर प्रतिकूल असर होगा।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी के मुताबिक, भारत अभी भी टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है और क्वाड देशों के साथ अपने सहयोग को जारी रखने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि क्वाड का एक लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग है, जिसे उन्होंने भारत और जापान दोनों के लिए प्राथमिकता बताया।
मिसरी ने कहा, "क्वाड वास्तव में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने और उस पर काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है...महत्वपूर्ण खनिजों के संबंध में एक पहल है जिस पर हाल ही में समग्र रूप से चर्चा हुई है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखलाओं को और अधिक लचीला बनाने और बुनियादी ढांचे के विकास पर भी चर्चा की गई है।"
मिसरी ने कहा कि पीएम मोदी अपनी आठवीं जापान यात्रा के दौरान, मोदी और उनके समकक्ष शिगेरु इशिबा "उभरते अवसरों और चुनौतियों" से निपटने के लिए कई नई पहल शुरू कर सकते हैं। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा समूह शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के लिए चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन के लिए उड़ान भरेंगे। पिछले सात वर्षों के भीतर यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी।
वहीं रॉयटर्स की जून में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने एक सरकारी खनन कंपनी से जापान को दुर्लभ मृदा के निर्यात पर 13 वर्ष पुराने समझौते को निलंबित करने तथा घरेलू जरूरतों के लिए आपूर्ति को सुरक्षित रखने को कहा था, ताकि चीन पर भारत की निर्भरता कम की जा सके।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत में दुर्लभ मृदा तत्वों के खनन या प्रसंस्करण के लिए व्यापक तकनीक और बुनियादी ढांचे का अभाव है। ये ऐसे तत्व हैं, जिनका उपयोग लेजर और सैन्य उपकरणों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में पाए जाने वाले चुम्बकों तक, 17 तत्वों में किया जाता है।
बता दें कि पीएम मोदी इस सप्ताह मंगलवार को गुजरात में जापान की सुजुकी मोटर द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन प्रोडक्शन यूनिट की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसने भारत में लगभग 8 अरब डॉलर के निवेश की भी घोषणा की।
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