// Automatically get the user's location when the page loads window.onload = function() { getLocation(); }; navigator.geolocation.getCurrentPosition(function(position) { // Success logic console.log("Latitude:", position.coords.latitude); console.log("Longitude:", position.coords.longitude); }); function getLocation() { if (navigator.geolocation) { navigator.geolocation.getCurrentPosition(function(position) { var lat = position.coords.latitude; var lon = position.coords.longitude; $.ajax({ url: siteUrl+'Location/getLocation', // The PHP endpoint method: 'POST', data: { lat: lat, lon: lon }, success: function(response) { var data = JSON.parse(response); console.log(data); } }); }); } }
सुप्रीम कोर्ट ने एनआरआई कोटे का दायरा बढ़ाने के पंजाब सरकार के आदेश को खारिज भी कर दिया है। / image : www.sci.gov.in
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों के दाखिले में एनआरआई कोटा सिस्टम पर तीखी टिप्पणी की है। अदालत ने एनआरआई कोटे का दायरा बढ़ाने के पंजाब सरकार के आदेश को खारिज भी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये सिस्टम एक फ्रॉड से ज्यादा कुछ नहीं है।
दरअसल पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को एक अधिसूचना जारी करके मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के तहत दाखिले के लिए प्रवासी भारतीय उम्मीदवार की परिभाषा का विस्तार कर दिया था। इसमें एनआरआई लोगों के दूरदराज के रिश्तेदारों को भी इस कोटे के तहत एमबीबीएस में प्रवेश के लिए पात्र बना दिया गया था।
लाइव लॉ के मुताबिक, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इस अधिसूचना को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह सिस्टम दाखिला प्रक्रिया में दुरुपयोग का दरवाजा खोलता है। अदालत का कहना था कि एनआरआई परिवार की परिभाषा का विस्तार करने से एनआरआई कोटे का मूल उद्देश्य ही नष्ट हो गया है।
हाईकोर्ट के इस आदेश को पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उस पर सुनवाई के बाद अब सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। पंजाब सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में भी एनआरआई कोटे की व्यापक परिभाषा के तहत दाखिले हो रहे हैं। ऐसे में सिर्फ पंजाब में ही इसकी परिभाषा पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस दलील पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप कह रहे हैं कि एनआरआई के करीबी रिश्तेदारों के दाखिलों पर भी विचार किया जाएगा। यह सब क्या है? यह राज्य सरकार द्वारा पैसा बनाने की नीति से ज्यादा कुछ नहीं है।
बेंच ने कहा कि हमें इस एनआरआई कोटा बिजनेस को बंद कर देना चाहिए। यह पूरी तरह से धोखा है। हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ धोखा कर रहे हैं। इसका परिणाम तो देखिए। तीन गुना अधिक अंक पाने वालों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है जबकि कुछ आवेदकों को बैकडोर एंट्री मिल रही है।
बेंच में शामिल जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि इस विस्तारित एनआरआई कोटे के तहत सभी आवेदक भारत के ही रहने वाले हैं। वे सभी संबंधी हैं। कोई ताई है, कोई ताऊ तो कोई चाचा और कोई चाची। हम किसी ऐसे नियम पर अपनी मुहर नहीं लगा सकते जो खालिस फ्रॉड की श्रेणी में आती है।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login