सांकेतिक तस्वीर / AI generated
हैदराबाद विश्वविद्यालय में हुए एक व्याख्यान में बताया गया कि अमेरिकी समाज में भारतीय मूल के लोग अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक अस्तित्व को नए रूप में गढ़ रहे हैं। अमेरिका में बसे भारतीय अब दुनिया के सबसे राजनीतिक रूप से जागरूक प्रवासी समुदायों में से एक बनकर उभर रहे हैं। यह निष्कर्ष हैदराबाद विश्वविद्यालय में आयोजित एक अध्ययन-आधारित व्याख्यान में सामने आया।
यह व्याख्यान ‘An Ethnographic Study of Indian Diaspora in the United States of America’ जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पूर्व अनुसंधान निदेशक और राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मुहम्मद बदरुल आलम द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ इंडियन डायस्पोरा, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज ने किया था जिसकी अध्यक्षता प्रो. अजय के. साहू ने की। उन्होंने डॉ. आलम और उनके अमेरिकी प्रवासी समुदायों पर किए गए शोध का परिचय दिया।
डॉ. आलम ने बताया कि भारतीय-अमेरिकी नागरिक अब अमेरिकी सार्वजनिक जीवन में अधिक सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समुदाय दोहरी राजनीतिक चेतना रखता है। एक अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से जुड़ी और दूसरी भारत की राजनीतिक घटनाओं के प्रति गहरी दिलचस्पी से प्रेरित।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के नेताओं का बढ़ता प्रभाव उनकी महत्वाकांक्षा और जुड़ाव दोनों को दर्शाता है। साथ ही उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पहली पीढ़ी के प्रवासियों और अमेरिका में जन्मे भारतीयों के अनुभवों में स्पष्ट अंतर है।
डॉ. आलम ने कहा कि पहली पीढ़ी अपने भाषाई और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने की कोशिश करती है जबकि नई पीढ़ियां भारतीयता को आधुनिक वैश्विक दृष्टिकोण के साथ पुनर्परिभाषित कर रही हैं जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि त्योहारों, मीडिया और डिजिटल नेटवर्कों के जरिए भारत से यह प्रवासी संबंध आज भी मज़बूत बने हुए हैं।
डॉ. आलम ने कहा कि भले ही भारतीय-अमेरिकी समुदाय आर्थिक और सामाजिक रूप से ऊंचे स्थान पर है, लेकिन धर्म, जाति, रंग और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव अब भी मौजूद है। उन्होंने बताया कि यह विरोधाभास विशेषाधिकार और उपेक्षा के सह-अस्तित्व इस समुदाय के जटिल अनुभव को दर्शाता है।
आर्थिक-सामाजिक गतिशीलता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीक और चिकित्सा क्षेत्र की सफलता के पीछे कई ऐसी कहानियां हैं जो अनदेखी रह जाती हैं जैसे कि अवैध प्रवासियों और मजदूर वर्गीय भारतीय परिवारों की। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य के शोध में इस आंतरिक विविधता को भी शामिल किया जाना चाहिए।
इस सत्र में कई विभागों के प्रोफेसर, शोधकर्ता और छात्र शामिल हुए। समापन टिप्पणी में प्रो. साहू ने कहा कि यह व्याख्यान भारतीय प्रवासियों के जीवन की गहराई और विविधता को समझने की एक संवेदनशील और वास्तविक झलक प्रदान करता है। चर्चा का सार यह रहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय न केवल अमेरिका के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे रहा है बल्कि वह स्वयं भी इन परिवर्तनों से निरंतर रूप से प्रभावित हो रहा है।
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