बंकिम ब्रह्मभट्ट / Bankai Group
भारतीय मूल के उद्यमी और टेलीकॉम एक्जीक्यूटिव बंकिम ब्रह्मभट्ट पर अमेरिका में 500 मिलियन डॉलर यानी लगभग लगभग 4,200 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। यह मामला इतने बड़े पैमाने का है कि इसमें यूएस इन्वेस्टमेंट फर्म ब्लैकरॉक की प्राइवेट-क्रेडिट इकाई सहित कई वैश्विक निवेशक अपने फंड वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। यह जानकारी द वॉल स्ट्रीट जर्नल के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई है।
ब्रह्मभट्ट ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस नामक कंपनियों के मालिक हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी खातों को गिरवी रखकर बड़े पैमाने पर लोन लिए। लेंडर्स ने इस स्कीम को breathtaking fraud बताया और कहा कि इसमें फर्जी वित्तीय रिकॉर्ड और झूठे दस्तावेज शामिल थे जिनकी शुरुआत 2018 से हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार ब्रह्मभट्ट ने HPS इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स के नेतृत्व में निजी निवेशकों से लाखों डॉलर जुटाए। यह वही कंपनी है जिसे हाल ही में ब्लैकरॉक ने अधिग्रहित किया है। आरोप है कि उन्होंने कई फाइनेंशियल नेटवर्क्स और शेल कंपनियों के माध्यम से इस स्कीम को अंजाम दिया।
जांचकर्ताओं का कहना है कि ब्रह्मभट्ट ने फर्जी इनवॉइस तैयार किए, नकली ग्राहक ईमेल और कॉन्ट्रैक्ट बनाए और फिर गिरवी रखी संपत्तियों को भारत और मॉरीशस में ट्रांसफर कर दिया। अब तक ब्रह्मभट्ट ने इन आरोपों पर कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है।
बंकिम ब्रह्मभट्ट को टेलीकॉम और फिनटेक क्षेत्र में तीन दशक से अधिक का अनुभव है। वह बैंकाई ग्रुप के प्रेसिडेंट और सीईओ हैं। यह एक वैश्विक टेलीकॉम और फिनटेक कंपनी है। साथ ही वे पैनामैक्स इंक. के चेयरमैन और एमडी भी हैं। उन्होंने 1980 के दशक के अंत में भारत में पुश-बटन टेलीफोन निर्माण से अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में ग्लोबल टेलीकॉम सर्विसेज में विस्तार किया जिनमें VoIP (Voice over Internet Protocol), कैरीयर वॉयस और मैसेजिंग सर्विसेज और फिनटेक प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं। उनके नेतृत्व में बैंकाई ग्रुप ने बैंकों, मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों और टेलीकॉम कैरियर्स के लिए तकनीकी और वित्तीय समाधान विकसित किए।
ब्रह्मभट्ट को कई बार Capacity Media की Power 100 सूची में शामिल किया गया है जो वैश्विक टेलीकॉम इंडस्ट्री के प्रभावशाली व्यक्तियों को मान्यता देती है।
बता दें कि निवेशक अब भी गायब फंड को ट्रेस करने और धोखाधड़ी की पूरी सीमा का पता लगाने में जुटे हैं। जांच फिलहाल जारी है और अमेरिकी वित्तीय एजेंसियां इस पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
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