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ब्रिटेन में भारतीय मूल का व्यक्ति मानव तस्करी का दोषी, सजा 20 सितंबर को

इन लोगों समूह ने प्रवासियों को छुपाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हुए प्रति व्यक्ति 5450 डॉलर और 10,901 डॉलर के बीच वसूली की।

बाएं से दाएं: मोहम्मद जदा, परीज अब्दुल्ला, मारेक सोचानिक और (नीचे) गुरप्रीत सिंह पीटर कहलों, खालिद महमूद और बेस्टून मोस्लिह। / National Crime Agency

भारतीय मूल के एक व्यक्ति को पांच अन्य के साथ ब्रिटेन में सैकड़ों इराकी-कुर्द प्रवासियों की तस्करी का दोषी पाया गया है। इस काम के लिए गुरप्रीत सिंह पीटर कहलों (67) और उसके साथियों ने प्रति व्यक्ति 5450 डॉलर से 10,901 डॉलर के बीच वसूली की। उन्होंने प्रवासियों को छुपाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया।

पता चला है कि इन लोगों ने गुप्त रूप से लोगों को अपने वाहनों में भरकर प्रवासियों को ले जाने के लिए वैध ड्राइवरों को भी धोखा दिया। टीसाइड से संचालित होने वाले मानव तस्करी गिरोह में कहलों, मुहम्मद जदा (43, परीज अब्दुल्ला (41), खालिद महमूद (50), मारेक सोचानिक (39) और बेस्टून मोस्लिह (41) शामिल थे। छह सप्ताह चली अदालती कार्यवाही के बाद इन सभी को 11 जुलाई को दोषी पाया गया।

गैंग का सरगना मुहम्मद जदा था और कहलों उसका खास था। कहलों ट्रक ड्राइवरों को किराये पर लेने का काम करता था और तस्करी को अंजाम तक पहुंचाता था। राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (NCA) के अधिकारियों को एक फुटेज मिला है जिसमें जदा को फ्रांस से प्रवासियों को ले जाने के लिए कहलों द्वारा किराए पर लिए गए कैंपरवैन का निरीक्षण करते हुए दिखाया गया है।

NCA की रिपोर्ट के अनुसार कहलों ने पहले की अदालती सुनवाई में आव्रजन कानून के उल्लंघन की साजिश रचने की बात स्वीकार की थी। जदा और सोचानिक को उनकी अनुपस्थिति में दोषी ठहराया गया। वे मुक़दमा शुरू होने से पहले ही फरार हो गए थे। अधिकारी भगोड़ों का सक्रिय रूप से पता लगाने और उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सभी छह लोगों को सजा सितंबर 20 को सुनाई जाएगी। 

NCA शाखा कमांडर मार्टिन क्लार्क ने कहा कि हमारी व्यापक जांच ने हमें अवैध रूप से ब्रिटेन में सैकड़ों नहीं तो हजारों लोगों को लाने की महत्वाकांक्षा वाले एक प्रमुख मानव तस्करी नेटवर्क को उजागर करने और उसका भंडाफोड़ करने में मदद की। 

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