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टैरिफ वॉर के बीच भारत का तटस्थ रूख, रूसी तेल आयात बढ़ने की उम्मीद

टैरिफ वॉर के बीच अमेरिकी टिप्पणियों और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए भारत में रूसी तेल आयात जारी है।

अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत रूस के कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयतक देश बना है। /

अमेरिका ने भारत पर लगातार यूक्रेन में तबाही मचाने के लिए रूस का समर्थन करने का आरोप लगाता रहा है, और अब यूएस ने भारत पर टैरिफ वॉर का दांव खेला। इन सबके बीच भारत अपने रूख पर कायम है। भारत पर अमेरिकी टैरिफ दर 50 प्रतिशत लागू किए जाने बावजूद अब अगले महीने यहां रूसी तेल आयात  बढ़ने की संभावना है।

भारत रूसी तेल आपूर्ति का सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है। वर्ष 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस ने अमेरिका पर कई प्रतिबंध लगाए। हालांकि इस दौरान भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा। इससे भारतीय रिफाइनरियों को सस्ते कच्चे तेल का लाभ मिला। अमेरिकी तेल भंडार में लगातार कमी के बीच अब भारत रूस से क्रूड आयल के आयात में वृद्धि कर सकता है।  

डीलरों का कहना है कि सितंबर में भारत को रूसी तेल निर्यात बढ़ने की संभावना है।  वहीं नई दिल्ली का कहना है कि वह ट्रम्प के अतिरिक्त टैरिफ को हल करने के लिए बातचीत पर निर्भर है। जबकि बीएनपी परिबास ने एक नोट में कहा, "ये टैरिफ भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार वार्ता का हिस्सा हैं, और रियायती दरों पर रूसी बैरल के बीच भारत की बढ़ती घरेलू रिफाइनरियों को देखते हुए, हमें नहीं लगता कि भारत अपने रूसी आयात को महत्वपूर्ण मात्रा में कम करेगा।"

इस बीच अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर रियायती दरों पर रूसी तेल से मुनाफा कमाने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में भारतीय अधिकारियों ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लगाए और कहा कि यूरोपीय संघ और अमेरिका अभी भी अरबों डॉलर मूल्य के रूसी सामान खरीदते हैं।

भारत को तेल बिक्री से जुड़े तीन व्यापारिक सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय रिफाइनर सितंबर में रूसी तेल खरीद को अगस्त के स्तर से 10-20% या प्रतिदिन 1,50,000-3,00,000 बैरल तक बढ़ा देंगे। वोर्टेक्सा विश्लेषकों के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले 20 दिनों में, भारत ने प्रतिदिन 15 लाख बैरल रूसी कच्चे तेल का आयात किया, जो जुलाई के स्तर से अपरिवर्तित है, लेकिन जनवरी-जून के औसत 16 लाख बैरल प्रतिदिन से थोड़ा कम है।

यह भी पढे़ं: अमेरिकी टैरिफ वॉर का  भारत के ऊर्जा भंडार पर कितना असर?

भारत में रूसी तेल आयात का यह स्तर वैश्विक आपूर्ति के लगभग 1.5% के बराबर है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि भारत समुद्री रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत रूसी तेल आयात से अपनी लगभग 40% तेल जरूरतों को पूरा करता है। दरअसल, रूसी तेल आयात के मामले में भारत को लेकर आंकड़ा चीन और तुर्की की तुलना में काफी अधिक है। 

रूस के पास अगले महीने निर्यात करने के लिए अधिक तेल है क्योंकि नियोजित और अनियोजित रिफाइनरियों में रुकावटों ने कच्चे तेल को ईंधन में बदलने की उसकी क्षमता को कम कर दिया है। हालांकि इस बीच यूक्रेन ने हाल के दिनों में 10 रूसी रिफाइनरियों पर हमला किया है, जिससे देश की रिफाइनिंग क्षमता का 17% हिस्सा बंद हो गया है।

रूसी तेल की खरीदारी भारत में कब तक?
रूस से तेल आयात को लेकर भारत अपने रूख पर कायम है।  केप्लर के सुमित रिटोलिया ने कहा, "जब तक भारत कोई स्पष्ट नीति निर्देश जारी नहीं करता या व्यापार को लेकर आर्थिक बदलाव नहीं आता रूसी कच्चे तेल का आयात जारी रहेगा।"

जबकि ब्रोकरेज फर्म CLSA ने एक नोट में यह भी अनुमान लगाया है कि जब तक वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तब तक "भारत द्वारा रूसी आयात बंद करने की संभावना कम है"।

वहीं व्यापारियों ने उम्मीद जताई है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते अक्टूबर में रूसी तेल आयात में वृद्धि की जा सकती है। 

यह भी पढे़ं: ट्रम्प के टैरिफ वॉर से भारत में छोटे व्यवसायों के लिए बढ़ा संघर्ष- रिपोर्ट

 

 

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