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जेनरेटिव एआई की रेस में उतरी मोदी सरकार, मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल BharatGen लॉन्च

भारतजेन सरकार द्वारा वित्त पोषित दुनिया की पहली मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल परियोजना है जो भारतीय भाषाओं में कुशल और समावेशी एआई बनाने पर केन्द्रित है।

भारतजेन इस परियोजना के दो वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है। / representative image : unsplash/julien Tromeur

जेनरेटिव एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में हो रही क्रांति में योगदान के लिए भारत ने भी अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘भारतजेन’ (BharatGen) मिशन का ऐलान किया है। यह किसी सरकार द्वारा समर्थित दुनिया का पहला मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल है। 

भारत सरकार के केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह की वर्चुअल उपस्थिति में नई दिल्ली में ‘भारतजेन’ का उद्घाटन किया गया। इसका उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति में क्रांति लाना और भाषा, अभिव्यक्ति एवं कंप्यूटर संबंधी दृष्टिकोण में मूलभूत मॉडलों का एक समूह विकसित करके नागरिकों से जुड़ाव को बढ़ावा देना है। 

पीआईबी की प्रेस रिलीज के मुताबिक, उद्घाटन के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतजेन स्वदेश में विकसित प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है। यूपीआई और अन्य कई क्षेत्रों में परिवर्तनकारी इनोवेशन की हमारी उपलब्धियों की तरह ही भारतजेन देश को जेनरेटिव एआई के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करता है।

उन्होंने कहा कि यह पहल सरकार द्वारा वित्त पोषित दुनिया की पहली मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल परियोजना है जो भारतीय भाषाओं में कुशल और समावेशी एआई बनाने पर केन्द्रित है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतरविषयी साइबर भौतिकी प्रणाली से संबंधित राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के तहत आईआईटी बम्बई के नेतृत्व में यह पहल एक ऐसी जेनेरिक एआई प्रणाली तैयार करेगी जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाला टेक्स्ट और मल्टीमॉडल कंटेंट जेनरेट कर सकती है। 



इस प्रोजेक्ट को आईआईटी बम्बई में आईओटी व आईओई से संबंधित टीआईएच फाउंडेशन द्वारा अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के अकादमिक भागीदारों के साथ मिलकर कार्यान्वित किया जाएगा। इन अकादमिक भागीदारों में आईआईटी बम्बई, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईटी मंडी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएम इंदौर और आईआईटी मद्रास शामिल हैं। 

इस अवसर पर प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन के नेतृत्व में कंसोर्टियम संकाय सदस्यों के साथ आईआईटी बम्बई के निदेशक प्रोफेसर शिरीष केदारे भी उपस्थित थे। डीएसटी सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि भारतजेन एआई का उपयोग न केवल औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए बल्कि सांस्कृतिक संरक्षण और समावेशी प्रौद्योगिकीय विकास जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए भी किया जाएगा। 

‘भारतजेन’ की चार प्रमुख विशिष्ट विशेषताओं में फाउंडेशन मॉडल की बहुभाषी एवं मल्टीमॉडल प्रकृति, भारतीय डेटा सेट आधारित निर्माण एवं प्रशिक्षण; ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म और देश में जेनेरिक एआई अनुसंधान के एक इकोसिस्टम का विकास शामिल है। विभिन्न सरकारी, निजी, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को लाभ पहुंचाने वाली इस परियोजना के दो वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है।

‘भारतजेन’ भारत के विविध भाषाई परिदृश्य में कवरेज सुनिश्चित करते हुए मूल पाठ और अभिव्यक्ति संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। बहुभाषी डेटासेट पर प्रशिक्षण द्वारा यह भारतीय भाषाओं की बारीकियों को गहराई से पकड़ेगा जिन्हें अक्सर वैश्विक एआई मॉडल में कम दर्शाया जाता है। 

इसके अलावा वैश्विक डेटासेट पर निर्भर मॉडलों के विपरीत ‘भारतजेन’ भारत-केन्द्रित डेटा एकत्र करने और क्यूरेट करने की प्रक्रियाओं को विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित करता है जिससे देश की विविध भाषाओं, बोलियों और सांस्कृतिक संदर्भों का सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है। डेटा संबंधी संप्रभुता पर यह जोर अपने डिजिटल संसाधनों एवं थाती पर भारत के नियंत्रण को मजबूत करता है।

‘भारतजेन’ आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह भारत के अंदर एआई प्रौद्योगिकियों को विकसित करके विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करता है और स्टार्टअप, उद्योगों और सरकारी एजेंसियों के लिए घरेलू एआई इकोसिस्टम को मजबूत करता है। 

‘भारतजेन’ जुलाई 2026 तक प्रमुख उपलब्धियां हासिल करने की रूपरेखा तैयार करता है। इनमें व्यापक एआई मॉडल का विकास, प्रयोग और भारत की जरूरतों के अनुरूप एआई बेंचमार्क की स्थापना शामिल है। ‘भारतजेन’ उद्योग जगत और सार्वजनिक पहलों में एआई को व्यापक रूप से अपनाने पर भी ध्यान केन्द्रित करेगी।

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